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छत्रयं तव विभाति शशाक-कान्तमुख्य वितं स्थगित-भानुकर-प्रतापम् ।
प्रख्यापयत् त्रिजगता परमेश्वरत्वम् ।
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हे प्रभो! आपके मस्तक पर तीन शोभित होते हैं। ये पन्द्रमा की भांति सौम्य-श्वेत मोतियों की झालर से अत्यधिक शोभा पा रहे हैं। इन पत्रों ने प्रचण्ड सूर्य-रश्मियों के आतप को रोक लिया है। वास्तव में ये तीनों न आपकी तीन लोकण्याची प्रभुता और परमेश्वरवा के सूचक है।(यह पीया छत्रय प्राविहार्य है। 1911
તમારા બને છે પર પદ્ધ મા જે વા નોમીર, સૂર્યના કિરણોના માતાપને દL (નાર નથા મોતીની ઝાલરથી શોભતા ગણ કો તમારી જો કવ્યાપી પ્રાપુતા તથા સ્વામીષાનું સૂચન 129.3१.
Your peaceful meditation is protected from the heat of the sun by a three-tiered canopy whose pearls glow like the moon; it is fitting for the conqueror of all three realms. (31)