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(physical avashyak with scriptural knowledge). This viewpoint has no scope for variations or differences.
(५) तिण्हं सद्दनयाणं जाणए अणुवउत्ते अवत्थू। कम्हा ? जइ जाणए अणुवउत्ते ण भवइ । से तं आगमओ दव्यावस्सयं।
(५) तीनों शब्द नय (शब्द, समभिरूढ़, एवंभूत नय) जो शब्द को ही अपना विषय बनाते हैं, ज्ञायक यदि अनुपयुक्त उपयोगशून्य होता है, तो उसे अवस्तु (अवास्तविक) मानते हैं। क्योंकि ज्ञायक (ज्ञाता) उपयोगशून्य नहीं होता। यदि उपयोगशून्य है तो वह वास्तव में ज्ञायक नहीं है।
यह आगम से द्रव्य आवश्यक का स्वरूप कहा है।
(नयों की विस्तृत व्याख्या आगे नयद्वार में दी जायेगी। यहाँ पर केवल सात नयों की अपेक्षा से आवश्यक क्या है इसी पर संक्षिप्त प्रकाश डाला है।)
(5) According to the three Shabda nayas (Shabda naya, Samabhirudha naya and Evambhuta naya) or verbal viewpoints (verbal viewpoint, conventional viewpoint and etymological viewpoint) if a knower is devoid of the faculty of contemplation he is unreal. This is because without the faculty of contemplation he cannot be a knower. Thus if he is non-contemplative he is in fact not a knower.
This concludes the description of agamatah dravya avashyak (physical avashyak with scriptural knowledge).
(The subject of nayas or viewpoints will be dealt in details in the chapter on nayas. Here only Avashyak has been defined according to the seven viewpoints in brief.) (२) नो-आगमतः द्रव्य आवश्यक
१६. से किं तं नोआगमतो दवावस्मयं ?
नोआगमतो दव्वावस्सयं तिविहं पण्णत्तं। तं जहा-(१) जाणगसरीरदव्वावस्सयं (२) भवियसरीरदव्वावस्सयं (३) जाणगसरीर भवियसरीरवतिरित्तं दव्वावस्सयं ।
१६. (प्रश्न) नो-आगमतः द्रव्य आवश्यक क्या है
अनुयोगद्वार सूत्र
( ४८ )
Illustrated Anuyogadvar Sutra
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