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ऊँ.
wood, and shells realistically or unrealistically is called sthapana avashyak (avashyak as notional installation).
१२. नाम द्ववणाणं को पइविसेसो ? नामं आवकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा। १२. ( प्रश्न) नाम और स्थापना में क्या भिन्नता है ?
(उत्तर) नाम यावत्कथिक (आजीवन) होता है, किन्तु स्थापना इत्वरिक (अल्पकालिक) और यावत्कथिक (यावज्जीवन) दोनों ही प्रकार की होती है।
12. (Question) What is the difference between naam and sthapana avashyak (avashyak as name and as notional installation)?
(Answer) Name is life long whereas sthapana can be temporary as well as lifelong both.
विवेचन-किसी जीव या अजीव को पुकारने या पहचानने के लिए उसका ‘आवश्यक' नाम रख देना नाम आवश्यक है। नाम एक संकेत मात्र होता है, जिससे हमारा दैनिक लोक-व्यवहार चलता है। नाम में उसके उपयुक्त गुण भी हों यह कोई जरूरी नहीं। नाम को यादृच्छिक (इच्छानुरूप) कहा है। नाम में मूल शब्द के अर्थ से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं होता। किसी भी व्यक्ति का या किसी पुस्तक का ‘आवश्यक' नाम रखा जा सकता है। इसे नाम आवश्यक कहा गया है। ___ किसी पदार्थ का नामकरण करने के पश्चात् यह वही है, उस अभिप्राय से उसकी व्यवस्थापना करने का नाम स्थापना है। जैसे इन्द्र नामक व्यक्ति विशेष की यह आकृति (चित्र, मूर्ति आदि) है, इस कल्पना का आरोपण करना स्थापना है। स्थापना में मूल शब्द का गुण या भाव नहीं होता, केवल कल्पित आकृति मात्र होती है।
आचार्य हरिभद्र तथा मलधारी हेमचन्द्रसूरि ने वृत्ति में इसके दो भेद किये हैं-(१) सद्भाव स्थापना-विवक्षित (जो हम कहना चाहते हैं) उस वस्तु के समान आकृति वाली स्थापना, तथा (२) असद्भाव स्थापना-मुख्य आकार से शून्य कल्पित आकृति असद्भाव स्थापना है। ___ नाम आजीवन के लिए होता है अतः वह यावत्कथित-जब तक वह वस्तु रहे तब तक यावज्जीवन के लिए होता है, जबकि स्थापना इत्वरिक-कुछ समय विशेष के लिए या
आवश्यक प्रकरण
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