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विवेचन - काव्य शास्त्र में नवरसों में प्रत्येक के चार भाव बताये गये हैं । रसों की उत्पत्ति, अनुभूति और अभिव्यक्ति में भाव, विभाव, अनुभाव आदि की विस्तृत चर्चा काव्य ग्रन्थों में मिलती है। जिसकी तालिका इस प्रकार है
रस स्थायीभाव
संचारी भाव
(१) शृंगार रति
(२) हास्य
(३) करुण
(४) रौद्र
(५) वीर
(९) शान्त
(१०) वत्सल
(६) भयानक भय
(११) भक्ति
हास
(७) बीभत्स जुगुप्सा
(८) अद्भुत विस्मय
नवरस प्रकरण
शोक
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क्रोध
उत्साह
शम
वात्सल्य
जुगुप्सा, आलस्य
आदि
लज्जा, निद्रा, असूया विकृत आकृति, वाणी, वेश आदि
आदि
निर्वेद, मोह, दीनता
आदि
उग्रता, मद, चपलता आदि
गर्व, धृति, असूया, अमर्ष आदि
त्रास, चिन्ता आवेग
आदि
अपस्मार, दैन्य,
जड़ता
वितर्क, आवेग, औत्सुक्य आदि
धृति, हर्ष, निर्वेद आदि
हर्ष, गर्व, उन्माद आदि
विभाव
ऋतु, माला, आभूषण आदि
ईश्वर - विषयक हर्ष, औत्सुक्य,
प्रेम
निर्वेद, आदि
इष्ट वियोग, अनिष्ट संयोग दैवोपलम्भ, निःश्वास, स्वरभेद आदि
असाधारण अपमान, कलह, विवाद आदि
प्रतिनायक का अविनय, शौर्य, त्याग आदि
गुरु या राजा का अपराध, भयंकर रूप देखना, भयंकर शब्द सुनना आदि
घृणास्पद तथा अरुचिकर वस्तु का दर्शन आदि
दिव्य वस्तु का दर्शन, देवागमन, माया,
इंद्रजाल आदि
वैराग्य, संसारभय, तत्त्वज्ञान आदि
शिशु-दर्शन आदि
राम, कृष्ण, महावीर
आदि
( ४३५ )
अनुभाव
मुस्कराहट, मधुरवचन, कटाक्ष आदि
स्मित हास आदि
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नथुने फुलाना, होठ फड़फड़ाना, कनपटी फड़कना आदि
धैर्य, दानशीलता, वाग्दर्प आदि
शरीर कम्पन, घबराहट, होठ सूखना कण्ठ सूखना आदि
अंगसंकोच, थूकना, मुँह फेरना आदि
नेत्र विस्तार, निर्निमेष दर्शन, भ्रूक्षेप, रोमांच आदि
यम-नियम पालन, अध्यात्मशास्त्र चिन्तन आदि
स्नेहपूर्वक देखना, हँसना, गोद लेना आदि
नेत्र विकास, गद्गद् वाणी, रोमांच आदि
The Discussion on Nine-Sentiments
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