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One unit good smell (minimum), two unit good smell (twice as good smell as the earlier one), and so on up to infinite unit good smell. Same statement goes for modes of bad smell also.
One unit bitter taste (minimum), two unit bitter taste (twice as bitter taste as the earlier one), and so on up to infinite unit bitter taste. Same statement goes for modes of pungent taste, astringent taste, sour taste, and sweet taste also.
One unit hard touch (minimum), two unit hard touch (twice as hard touch as the earlier one), and so on up to infinite unit hard touch. Same statement goes for modes of soft touch, heavy touch, light touch, cold and hot touch, smooth touch, and coarse or dry touch also.
विवेचन-प्रस्तुत सूत्र में गुणों को माध्यम बनाकर पर्याय का स्वरूप बताया है। पर्याय एक गुण (अंश) कृष्ण आदि रूप हैं। अर्थात् जिस परमाणु आदि द्रव्य में कृष्ण गुण का एक अंश हो वह परमाणु आदि द्रव्य एकगुण कृष्णवर्ण आदि वाला है। इसी प्रकार दो आदि अंश से लेकर अनन्त अंशों तक के लिए जानना चाहिए।
पुद्गलास्तिकाय के दो भेद हैं-अणु और स्कन्ध। स्कन्धों में तो पाँच वर्ण, दो गंध, पाँच रस और आठ स्पर्श कुल मिलाकर बीस गुण होता है। परमाणुओं में कर्कश, मृदु, गुरु, लघु ये चार स्पर्श नहीं होने से कुल सोलह गुण पाये जाते हैं तथा एक परमाणु में शेष रहे शीत-उष्ण, स्निग्ध-रुक्ष इन चार स्पर्शों में से भी एक समय में अविरोधी दो स्पर्श ही होते हैं। अर्थात् (१) शीत हो तो उष्ण नहीं, (२) रुक्ष हो तो स्निग्ध नहीं तथा (३) एक वर्ण, (४) एक गंध, (५) एक रस, इस प्रकार कुल पाँच गुण और उनके पर्याय सम्भव हैं।
ये वर्ण आदि गुण मूर्त वस्तु-पुद्गल से कभी अलग नहीं होते हैं किन्तु इनके एक, दो आदि रूप अंश रूपान्तरित होते रहते हैं। तभी द्रव्य के अवस्थान्तर होने का बोध होता है।
Elaboration—In this aphorism modes have been explained with the help of Guna or attributes. Mode is one unit black (fractionally black) and so on. This means that the paramanu (ultimate-particle) or substance that has only one unit of the attribute that is black colour is called one unit black paramanu
नामाधिकार प्रकरण
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The Discussion on Nama
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