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KINKianartha RUATOTOYAYOYAYOYAYOPAYPALOPADARO PAROEROPARARAOSA
णेगम-ववहाराणं अणोवणिहिया कालाणुपुवी पंचविहा पण्णत्ता। तं जहा(१) अट्ठपयपरूवणया, (२) भंगसमुक्कित्तणया, (३) भंगोवदंसणया, (४) समोतारे, (५) अणुगमे।
१८३. (प्रश्न) नैगम और व्यवहारनयसम्मत अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी क्या है?
(उत्तर) (नैगम और व्यवहारनयसम्मत) अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी के पाँच प्रकार हैं-(१) अर्थपदप्ररूपणता, (२) भंगसमुत्कीर्तनता, (३) भंगोपदर्शनता, (४) समवतार, (५) अनुगम। NAIGAM-VYAVAHAR NAYA SAMMAT ANAUPANIDHIKI KAAL-ANUPURVI
183. (Question) What is this Naigam-vyavahar naya sammat anaupanidhiki kaal-anupurvi (disorderly timesequence conforming to coordinated and particularized viewpoints)?
(Answer) Naigam-vyavahar naya sammat anaupanidhiki kaal-anupurvi (disorderly time-sequence conforming to coordinated and particularized viewpoints) is of five types—(1) Arth-padaprarupana (semantics), (2) Bhang-samutkirtanata (enumeration of divisions or bhangs), (3) Bhangopadarshanata (explication of divisions or bhangs), (4) Samavatara (compatible assimilation), and (5) Anugam (systematic elaboration).
विवेचन-जिस प्रकार द्रव्यानुपूर्वी का आधार है पुद्गल द्रव्य, तथा क्षेत्रानुपूर्वी का आधार है आकाश प्रदेश। उसी प्रकार कालानुपूर्वी का आधार है-काल, पर्याय। तीन समय, चार समय यावत् असंख्यात समय से उपलक्षित, द्रव्य कालानुपूर्वी कहलाते हैं।
असंख्यात समय की स्थिति वाले द्रव्य को कालानुपूर्वी में ग्रहण किया है, किन्तु किसी भी द्रव्य की अनन्त समय की स्थिति नहीं होती इसलिए यहाँ अनन्त समय की स्थिति वाली कालानुपूर्वी का उल्लेख नहीं है।
Elaboration-As the basis of dravya-anupurvi is matter and that of kshetra anupurvi is space-point, in the same way the अनुयोगद्वार सूत्र
( २६६ )
Illustrated Anuyogadvar Sutra
RDARODROD YALOVACOPALOVAOLA AMR.R
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