________________
SPOTSPOTSPOTSPRGPORGPOTHORHAORAविल
(उत्तर) संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य संख्यात नहीं हैं, असंख्यात नहीं हैं और अनन्त भी नहीं हैं, परन्तु नियमतः एक राशि रूप हैं। इसी प्रकार दोनों-(अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक) द्रव्यों के लिए भी जानना चाहिए। (2) DRAVYAPRAMANA-DVAR ___124. (Question) According to the samgraha naya (generalized viewpoint) are the anupurvi dravya (sequential substances) countable, uncountable, or infinite (numerically)?
(Answer) Samgraha naya sammat anupurvi dravya (sequential substances conforming to generalized viewpoint) are neither countable nor uncountable or infinite, in fact they fall in just one heap or group). The same also holds good in case of ananupurvi (non-sequential) and avaktavya (inexpressible) substances.
विवेचन-द्रव्य-प्रमाणप्ररूपणा में आनुपूर्वी आदि पदों द्वारा कहे गये द्रव्यों की संख्या का निर्धारण होता है। संग्रहनय सामान्य को विषय करने वाला होने से उसके मत से संख्यात आदि भेद सम्भव नहीं हैं। किन्तु एक-एक राशि ही है। इसी बात का संकेत करने के लिए सूत्र में पद दिया है-नियमा एगो रासी जिसका अर्थ यह है कि आनुपूर्वीद्रव्य अनेक होने पर भी उनमें आनुपूर्वी भाव में परिणमन होने पर एक आनुपूर्वी बन जाती है।
Elaboration—In dravyapraman or quantitive analysis the numerical quantity of ananupurvi (non-sequential) and other type of substances is decided. As samgraha naya (generalized viewpoint) deals with generalities it is not possible to have categories like countable, (etc.). The substances just fall in general groups. To indicate this the aphorism uses the phraseniyama ego rasi—which means that although anupurvi (sequential) (etc.) substances are numerous, when they are categorized as anupurvi (sequential) they just form a single anupurvi (sequence). अनुयोगद्वार सूत्र
( २०८ )
Illustrated Anuyogadvar Sutra
6.0.
.Q.P ROP, *iesh
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org