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SAMGRAHA NAYA SAMMAT ANUGAM : EIGHT KINDS ___122. (Question) What is this anugam (systematic elaboration)?
(Answer) Anugam (systematic elaboration) is of eight kinds—(1) satpadprarupana, (2) dravyapramana, (3) kshetra, (4) sparshana, (5) kaal, (6) antar, (7) bhaag, and (8) bhaava. (Samgraha naya deals with general attributes and they are uniform everywhere thus-) they do not have the alpabahutva kind. (१) सत्पदप्ररूपणा का अर्थ
१२३. संगहस्स आणुपुब्बीदव्वाइं किं अत्थि णत्थि ? नियमा अत्थि। एवं दोण्णि वि। १२३. (प्रश्न) संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य हैं अथवा नहीं हैं ?
(उत्तर) नियमतः (-निश्चित रूप से विद्यमान है, अस्तित्त्व में) हैं। इसी प्रकार दोनों (अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक) द्रव्यों के लिए भी समझना चाहिए। (1) SATPADPRARUPANA-DVAR
123. (Question) Do the samgraha naya sammat anupurvi dravya (sequential substances conforming to generalized viewpoint) exist or not?
(Answer) Indeed, as a rule they exist. The same also holds good in case of ananupurvi (non-sequential) and avaktavya (inexpressible) substances. (२) द्रव्यप्रमाणप्ररूपणा
१२४. संगहस्स आणुपुब्बीदव्वाइं किं संखेज्जाइं असंखेज्जाइं अणंताई ? नो संखेज्जाई नो असंखेज्जाइं नो अणंताई, नियमा एगो रासी। एवं दोण्णि वि।
१२४. (प्रश्न) संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं ? आनुपूर्वी प्रकरण
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The Discussion on Anupuroi
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