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universe. But with respect to many substances, as a rule, they have spatial contact with the whole universe.
(२) गम-ववहाराणं अणाणुपुब्बीदव्याणं पुच्छा। एगं दव्वं पुडुच्च नो संजाइभागे फुसंति; असंखेज्जइभागं फुसंति, नो संखेज्जे भागे फुसंति, नो असंखेजे भागे फुसंति, नो सबलोगं फुसंति, नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सबलोगं पुतति।
१०९. (प्रश्न २) नैगम और व्यवहारनय की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्य क्या लोक के संख्यातवें भागे का स्पर्श करते हैं ? इत्यादि पाँचों प्रश्न है।
(उत्तर) एक-एक अनानुपूर्वी द्रव्य की अपेक्षा लोक के संख्यातवें भाग का स्पर्श नहीं करते हैं किन्तु असंख्यातवें भाग का स्पर्श करते हैं, संख्यात भागों का, असंख्यात भागों का या सर्वलोक का स्पर्श नहीं करते हैं किन्तु अनेक अनानुपूर्वी द्रव्यों की अपेक्षा तो नियमतः सर्वलोक का स्पर्श करते हैं।
109. (Question 2) Do the naigam-vyavahar naya sammat ananupurvi dravya (non-sequential substances conforming to coordinated and particularized viewpoints) have spatial contact with numerable fraction of the universe (occupied space), with innumerable (infinitesimal) fraction, with numerable sections, with innumerable sections, or with the whole universe ?
(Answer) With respect to a single ananupurvi (non sequential) substance (a paramanu), it does not have spatial contact with a numerable fraction of the universe but has contact with its innumerable (infinitesimal) fraction. It also does not have spatial contact with its numerable sections, innumerable sections or the whole universe. But with respect to many ananupurvi substances, as a rule, they have spatial contact with the whole universe.
(३) एवं अक्त्तव्यगदव्याणि वि भाणियबाणि।
१०९. (३) अवक्तव्य द्रव्यों की स्पर्शना भी इसी प्रकार समझना चाहिए। आनुपूर्वी प्रकरण
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The Discussion on Anupurvi
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