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___109. (3) The same is true for avaktavya (inexpressible) substances.
विवेचन-सूत्र में आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी और अवक्तव्य द्रव्यों की एकवचन और बहुवचन की अपेक्षा स्पर्शना का विचार किया है। क्षेत्र और स्पर्शना में यह मुख्य अन्तर है कि जैसे परमाणुद्रव्य की जो अवगाहना एक आकाश प्रदेश में होती है, वह क्षेत्र है तथा परमाणु के द्वारा अपने आधारभूत एक आकाशप्रदेश के अतिरिक्त चारों ओर तथा ऊपर-नीचे के प्रदेशों के छूने को स्पर्शना कहते हैं। परमाणु (एक प्रदेशी) की र्पशना आकाश के सात प्रदेशों की इस प्रकार होती है-चारों दिशाओं के चार प्रदेश, ऊपर-नीचे के दो प्रदेश एवं एक वह प्रदेश जहाँ स्वयं वह स्थित हैं। इस प्रकार अनानुपूर्वी द्रव्य की सात प्रदेशों की स्पर्शना होती है।
Elaboration-This aphorism discusses the spatial contact of the said three classes of substances in their singularity and plurality. The basic difference between kshetra and sparsh is that the space occupied by a substance is kshetra and the area in terms of space-points in all directions with which it is in spatial contact during this occupation is called sparsh. A paramanu (ultimate-particle) occupying one space-point is in spatial contact with seven space-points-four in four transverse directions, one above, one below, and the one which it occupies. (५) काल द्वार
११०. (१) णेगम-ववहाराणं आणुपुब्बीदव्वाइं कालओ केवचिरं होंति ?
एगं दव् पुडुच्च जहण्णेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं, नाणादव्वाइं पडुच्च णियमा सव्वद्धा।
११०. (प्रश्न १) नैगम और व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य काल की अपेक्षा कितने काल तक (आनुपूर्वीद्रव्य रूप में) रहते हैं ?
(उत्तर) एक द्रव्य की अपेक्षा वे जघन्यतः एक समय और उत्कृष्ट असंख्यातकाल तक उसी स्वरूप में रहता है और अनेक आनुपूर्वीद्रव्यों की अपेक्षा नियमतः सार्वकालिक होते हैं। (5) KAAL-DVAR ____110. (Question 1) In context of time, for what duration do the naigam-vyavahar naya sammat anupurvi dravya अनुयोगद्वार सूत्र
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Illustrated Anuyogadvar Sutra
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