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(४) स्पर्शना द्वार
१०९. (१) णेगम-ववहाराणं आणुपुचीदव्वाइं लोगस्स किं संखेज्जइभागं फुसंति ? असंखेज्जइभागं फुसंति ? संखेज्जेभागे फुसंति ? असंखेजे भागे फुसंति ? सबलोयं फुसंति ? __एगदव्वं पुडुच्च लोगस्स संखेजइभागं वा फुसंति, असंखेज्जइभागं वा फुसंति, संखेज्जे वा भागे फुसंति, असंखेज्जे वा भागे फुसंति, सव्वलोगं वा फुसंति। णाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सबलोगं फुसंति।।
१०९. (प्रश्न १) नैगम और व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य क्या लोक के संख्यातवें भाग का स्पर्श करते हैं ? असंख्यातवें भाग का स्पर्श करते हैं ? संख्यात भागों का स्पर्श करते हैं ? अथवा असंख्यात भागों का स्पर्श करते हैं ? अथवा समस्त लोक का स्पर्श करते हैं ?
(उत्तर) एक द्रव्य की अपेक्षा आनुपूर्वीद्रव्य लोक के संख्यातवें भाग का स्पर्श करता है, असंख्यातवें भाग का स्पर्श करता है, संख्यात भागों का स्पर्श करता है, असंख्यात भागों का स्पर्श करता है अथवा सर्वलोक का स्पर्श करता है, किन्तु अनेक (आनुपूर्वी) द्रव्यों की अपेक्षा तो नियमतः सर्वलोक का स्पर्श करते हैं। (4) SPARSHANA-DVAR ____109. (Question 1) Do the naigam-vyavahar naya sammat anupurvi dravya (sequential substances conforming to coordinated and particularized viewpoints) have spatial contact with numerable fraction of the universe (occupied space), with innumerable (infinitesimal) fraction, with numerable sections, with innumerable sections, or with the whole universe ?
(Answer) With respect to a single anupurvi (sequential) substance, some have spatial contact with numerable fractions of the universe, some with innumerable (infinitesimal) fraction, some with numerable sections, some with innumerable sections and some with the whole अनुयोगद्वार सूत्र
( १७८ )
mustrated Anuyogadvar Sutra
AAVAON
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