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types—(1) Sachitt dravya upakram, (2) Achitta dravya a upakram, and (3) Mishra dravya upakram.
विवेचन-द्रव्य उपक्रम की व्याख्या इस प्रकार समझना चाहिए
भूतकालीन अथवा भविष्यत्कालीन उपक्रम की पर्याय को वर्तमान में उपक्रम रूप से कहना द्रव्य उपक्रम है। इसके भी द्रव्य आवश्यक के भेदों की तरह आगम और नो-आगम को आश्रित करके दो भेद हैं। उनमें से उपक्रम के अर्थ में उपयोग शून्य ज्ञाता की अपेक्षा द्रव्य उपक्रम है और नोआगम को आश्रित करके ज्ञायक शरीर, भव्य शरीर तथा दोनों से व्यतिरिक्त, ये तीन भेद होते हैं। उनमें उपक्रम के अनुपयुक्त ज्ञाता का निर्जीव शरीर नो-आगमतः ज्ञायक शरीर द्रव्य उपक्रम तथा जिस प्राप्त शरीर से जीव आगे उपक्रम के अर्थ को सीखेगा वह भव्य शरीर द्रव्य उपक्रम है और इन दोनों से व्यतिरिक्त नो-आगम द्रव्य उपक्रम का सूत्र में इस प्रकार से संकेत किया है
जिस उपक्रम का विषय सचित्त द्रव्य है, अचित्त द्रव्य है और सचित्त-अचित्त दोनों प्रकार का द्रव्य है, उसे अनुक्रम से सचित्त द्रव्य उपक्रम, अचित्त द्रव्य उपक्रम और उभय-व्यतिरिक्त मिश्र द्रव्य उपक्रम जानना चाहिए। इनकी विशेषता के साथ स्पष्टीकरण आगे सूत्रों में किया जा
रहा है9 Elaboration-Dravya upakram (physical introduction) is explained as follows
To call the past and future variant of upakram as upakram even at the present time is dravya upakram (physical introduction). Like dravya avashyak this also has two classes in context of Agam (physical aspect in context of Agam) and NoAgam (physical aspect not in context of Agam). Of these dravya upakram is in context of the knower uninvolved in the meaning of upakram. In context of No-Agam there are three classifications jnayak sharir, bhavya sharir, and other than these two. The lifeless body of an uninvolved knower is No-Agam inayak sharir dravya upakram (physical upakram as the body of the knower not in context of Agam). The existing body with which he will learn the meaning of upakram is bhavya sharir dravya upakram (physical upakram as the body of the potential knower not in context of Agam). The No-Agam dravya upakram other then these two has been defined as followsउपक्रम प्रकरण
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The Discussion on Upakram
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