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४८. (प्रश्न) नोआगम की अपेक्षा भाव श्रुत क्या है ?
(उत्तर) नो- आगमतः भाव श्रुत दो प्रकार का है। जैसे- (१) लौकिक, और (२) लोकोत्तरिक ।
(2) NO-AGAMATAH BHAAVA SHRUT
48. ( Question) What is No-Agamatah bhaava shrut (perfect shrut without scriptural knowledge)?
(Answer) No Agamatah bhaava shrut (perfect shrut without scriptural knowledge) is of two types – (1) Laukik, and (2) Lokottarik.
(१)- लौकिक भाव
४९. से किं तं लोइयं भावसुयं ?
लोइयं भावसुयं जं इमं अण्णाणिएहिं मिच्छदिट्ठीहिं सच्छंदबुद्धि-मइविगप्पियं । तं जहा - भारहं रामायणं भीमासुरुक्कं कोडिल्लयं घोडमुहं सगडभद्दिआओ कप्पासियं नागसुहुमं कणगसत्तरी वइसेसियं बुद्धवयणं वेसियं काविलं लोयाययं सट्ठितंतं माढरं पुराणं वागरणं नाडगादी, अहवा बावत्तरिकलाओ चत्तारि य वेदा संगोवंगा । सेतं लोइयं भावसुयं ।
४९. (प्रश्न) लौकिक भाव श्रुत क्या है ?
(उत्तर) जो अज्ञानी (अल्पज्ञानी) मिथ्यादृष्टियों द्वारा अपनी स्वच्छन्द बुद्धि और मति से रचित श्रुत लौकिक भाव श्रुत है । जैसे - महाभारत, रामायण, भीमासुरोक्त, कौटिल्य (अर्थशास्त्र), घोटकमुख, शटकभद्रिका, कार्पासिक, नागसूक्ष्म, कनकसप्तति, वैशेषिकशास्त्र, बौद्धशास्त्र, कामशास्त्र, कपिलशास्त्र, लोकायतशास्त्र, षष्ठितंत्र, माढरशास्त्र, पुराण, व्याकरण, नाटक आदि अथवा बहत्तर कलाएँ और अंग - उपांग सहित चार वेद ये सब लौकिक नो-आगमतः भाव श्रुत हैं ।
(1) LAUKIK BHAAVA SHRUT
49. (Question) What is laukik bhaava shrut (mundane perfect shrut)?
अनुयोगद्वार सूत्र
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Illustrated Anuyogadvar Sutra
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