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समग्र यान-विमान का सौन्दर्य-वर्णन
५३. तस्स दिव्वस्स जाणविमाणस्स इमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते।
से जहानामए-अइरुग्गयस्स वा, हेमंतिय-बालियसूरियस्स वा, खयरिंगालाण वा रत्तिं पज्जलियाण वा, जवाकुसुमवणस्स वा, किंसुयवणस्स वा, पारियायवणस्स वा, सव्वतो समंता संकुसुमिस्स भवे एयारूवे सिया ? ५३. उस दिव्य यान-विमान का रूप-सौन्दर्य का वर्णन इस प्रकार है
जैसे कि तत्काल उदित हेमन्त ऋतु के बाल सूर्य के समान अथवा रात्रि में प्रज्वलित खैर की लकडी के अंगारों अथवा पूरी तरह से कुसुमित-फूले हुए जवापुष्पवन अथवा पलाशवन अथवा पारिजातवन के समान लाल था। क्या यान-विमान इस प्रकार का सौन्दर्य वाला था ? DESCRIPTION OF THE GRANDEUR OF CELESTIAL AERIAL VEHICLE
53. The detailed description of the aerial celestial vehicle and its grandeur is as under
Is it a fact that the vehicle was red like the rising sun of winter or the burning charcoal of khair wood at night or the completely blossomed java flowers, palash garden or parijaat garden ? Was the aerial vehicle of such a grandeur ?
५४. णो इणढे समढे, तस्स णं दिव्वस्स जाणविमाणस्स एत्तो इट्टतराए चेव जाव कवण्णेणं पण्णत्ते। गंधो य फासो य जहा मणीणं।
५४. यह कथन यथार्थ नहीं है। हे आयुष्मान् श्रमणो । यह यान-विमान तो इन सभी उपमाओ से भी अधिक इष्टतर रमणीय यावत् रक्त वर्ण वाला था। इसी प्रकार उसका गंध और स्पर्श भी पूर्व में कहे गये मणियों के वर्णन से भी अधिक रमणीय था।
54. No. It is not true. O the blessed Saints ! The celestial vehicle was surpassing all the above mentioned comparisons. It was much more in grandeur, in attraction and in redness. Same is the case with its fragrance and touch. In that case it was much more attractive than the jewels mentioned earlier. आभियोगिक देव द्वारा कार्य-संपूर्ति की सूचना
५५. तए णं से आभिओगिए देवे दिव्यं जाणविमाणं विउब्बइ, विउवित्ता जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं जाव पच्चप्पिणति।
रायपसेणियसूत्र
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Rar-paseniya Sutrax
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