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ॐ वे सभी दाम (झूमर) सोने के लंबूसकों (गेंद जैसे आकार वाले आभूषणों), विविध
प्रकार की मणियो, रत्नों अथवा विविध प्रकार के मणिरत्नों से बने हुए हारों, अर्धहारों के समुदायों से शोभित हो रहे थे और पास-पास में लटके होने से जब पूर्व, पश्चिम, दक्षिण
और उत्तर की मन्द-मन्द हवा के झोंकों से हिलते-डुलते तो एक-दूसरे से टकराने पर विशेष मनोज्ञ, मनहर, कर्णप्रिय एवं मन को शान्ति प्रदान करने वाली रुनझुन शब्द-ध्वनि म से समीपवर्ती समस्त प्रदेश को गुंजाते हुए अपनी श्री-शोभा से सबको मोहित कर रहे थे।
51. A big garland of pearls as large as a pitcher in shape was hanging on the peg.
That garland of pearls was also having four other garlands of * pearls as large as half a pitcher in shape around it in all the four directions.
All the above said garlands were shining due to ball-like gold ornaments, various types of jewelled garlands, rosaries studded with gems and chain of semi-circular garlands. As the garlands were hanging close to each other, they were moving with the slowen wind from east, west, south and the north. They were then striking against one another emitting specially pleasant, loveable sound soothing to the ear and causing peace to the mind. The echo of that sound was attracting all the persons close by. सिंहासन की चतुर्दिग्वर्ती भद्रासन-रचना
५२. तए णं से आभिओगिए देवे तस्स सीहासणस्स अवरुत्तरेणं उत्तरेण उत्तरपुरथिमेणं एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं चत्तारि । भद्दासणसाहस्सीओ विउब्वइ।
___ तस्स णं सीहासणस्स पुरथिमेणं एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स चउण्हं अग्गमहिसीणं 9 सपरिवाराणं चत्तारि भद्दासणसाहस्सीओ विउबइ।
तस्स णं सीहासणस्स दाहिणपुरथिमेणं एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स अभिंतरपरिसाए अट्ठण्हं देवसाहस्सीणं अट्ठ भद्दासण साहस्सीओ विउव्वइ। एवं दाहिणेणं मज्झिमपरिसाए दसण्हं देवसाहस्सीणं दस भद्दासणसाहस्सीओ विउव्वति, दाहिणपच्चत्थिमेणं बाहिरपरिसाए बारसण्हं देवसाहस्सीणं वारस भद्दासणसाहस्सीओ विउव्वति।
पच्चत्थिमेणं सत्तण्हं अणियाहिवतीणं सत्त भद्दासणे विउव्यति।
रायपसेणियसूत्र
(54)
Rar-paseniya Sutra
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