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________________ ४९. तस्स णं सीहासणस्स उवरि एत्थ णं महेगं विजयदूसं विउव्वति। संख-कुंद-दगरय-अमय-महियफेणपुंज-संनिगासं सव्वरयणामयं अच्छं सण्हं पासादीयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरूवं। ४९. उस सिंहासन के ऊपरी भाग में स्वच्छ, निर्मल, स्निग्ध प्रासादिक (मन को प्रसन्न करने वाले), दर्शनीय, अभिरूप और प्रतिरूप एक विजयदूष्य (छत्राकार जैसे चंदोवे) बॅधा था। वह शंख, कुंदपुष्प (सफेद फूल), जल की बूंद, मथे हुए क्षीर समुद्र के फेनपुंज (झाग) के समान श्वेत प्रभा वाले रत्नों से बना था। ___49. A pure, clean, attractive, worth-seeing, perpetually charming, umbrella-like canopy was tied above the throne. It was made of gems that were as white as conch, white kund flowers, dew drops or foam of milky ocean (Ksheer Samudra). ५०. तस्स णं सीहासणस्स उवरि विजयदूसस्स य बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महं एगं वयरामयं अंकुसं विउव्वति। ५०. उस सिंहासन के ऊपर बँधे हुए विजयदूष्य के बीचोंबीच वज्र रत्नमय एक अंकुश (खूटी) लगा था। 50. A hard-jewelled peg was fixed in the centre of that canopy. ___ ५१. तस्सिं च णं वयरामयंसि अंकुसंमि कुंभिक्कं मुत्तादामं विउव्वति। से णं कुंभिक्के मुत्तादामे अन्नेहिं चउहिं अद्धकुंभिक्केहिं मुत्तादामेहिं तद्दधुच्चपमाणेहिं सबओ समंता संपरिक्खित्ते। ते णं दामा तवणिज्जलंबूसगा णाणामणिरयणविविह-हारद्धहारउवसोभियसमुदाया ईसिं अण्णमण्णमसंपत्ता वाएहिं पुवावरदाहिणुत्तरागएहिं मंदायं मंदायं एज्जमाणाणि एज्जमाणाणि पलंबमाणाणि पलंबमाणाणि वंदमाणाणि वंदमाणाणि उरालेणं मणुन्नेणं मणहरेणं कण्ण-मण-णिबुइ-करेणं सद्देणं ते पएसे सव्वओ समंता आपूरेमाणा आपूरेमाणा सिरीए अतीव अतीव उवसोभेमाणा उवसोभेमाणा चिटुंति। ५१. उस वज्र रत्नमयी अंकुश (खूटी) में कुंभ (घडा) जितने बड़े आकार के एक बडे मुक्तादाम (मोतियों के झूमर-फानूस) को लटकाया था। __वह मुक्तादाम भी चारों दिशाओं में आधे कुंभ जितने बडे आकार वाले और दूसरे चार 2 मुक्तादामों फानूसों से घिरा हुआ था। सूर्याभ वर्णन (53) Description of Suryabh Dev 2 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007653
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2002
Total Pages499
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_rajprashniya
File Size18 MB
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