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उस सम भूमिभाग मे काली, नीली, लाल, पीली और श्वेत वर्ण की जो मणियाँ जडी हई थीं उनमें से कितनी ही आवर्त-(चक्राकार) प्रत्यावर्त्त वाली, श्रेणि-प्रश्रेणि (सीधी पक्तियों जैसी) वाली, स्वस्तिक जैसी, पुष्यमाणव, शरावसंपुट, मछली व मकर के अंडे जैसी आकृति-सी मालूम पडती थी और उनमें कितनी ही मणियों में पुष्पलताओं, कमल-पत्रों, समुद्र-तरंगों, वसंतलताओं, पद्मलताओं आदि के चित्र बने हुए थे तथा वे सभी मणियाँ निर्मल, चमकदार किरणों वाली उद्योत (शीतल प्रभा) और प्रकाश-तेज प्रभायुक्त थीं। INNER AREA OF THE VIMAN (AERIAL VEHICLE)
30. After constructing the external part namely stairs etc., the Abhiyogic god, prepared a completely levelled beautiful floor in the Viman. That area was made so much levelled and beautiful that it looked like canopy of a fort, the upper surface of a pond completely filled with water, the surface of palm of a hand, the surface of the moon, the sun, a mirror. Further it was levelled like sheep-skin, oxskin, pig-skin, lion-skin, wolf-skin, goat-skin tightly tied with small nails at all the four corners.
That levelled ground was studded with black, blue, red, yellow and white jewels. Many of them were circular, straight, swastik
shaped or having special characteristics of jewels such as pushyako manav, sharaav-samput, fish-egged, crocodile-egged in shape. Many
of those jewels were bearing designs of flowering creepers, lotusleaves, ocean waves, spring creepers, lotus creepers. All the said jewels had pure, pleasant cool shine and grand light. मणियों का वर्णन (कृष्ण वर्ण मणियों) ____३१. तत्थ णं जे ते किण्हा मणी तेसिं णं मणीणं इमे एआरूवे वण्णावासे पण्णत्ते
से जहा नामए-जीमूतए इ वा, खंजणे इ वा, अंजणे इ वा, कजले इ वा, मसी इ. वा, मसीगुलिया इ वा, गवले इ वा, गवलगुलिया इ वा, भमरे इ वा, .भमरावलिया इ वा, भमरपतंगसारे ति वा, जंबूफले ति वा, अद्दारिटे इ वा, परपुढे इ वा, गए इ वा,
गयकलभे इ वा, किण्हसप्पे इ वा, किण्हकेसरे इ वा, आगासथिग्गले इ वा, किण्हासोए * इवा, किण्हकणवीरे इ वा, किण्हबंधुजीवे इ वा, एयारूवे सिया ?
३१. उनमें जो काले रंग की मणियाँ थी उनका रग इस प्रकार का था
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सूर्याभ वर्णन
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