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Bhagavan Mahavir who is present there so, all of you, should properly dress up and present yourself before Suryabh Dev along with your entire grandeur."
घोषणा की प्रतिक्रिया
२२. तए णं ते सूरिया भविमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा देवीओ य पायत्ताणियाहिवइस्स देवस्स अंतिए एयमहं सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठ जाव हियया ।
अप्पेगइया वंदणवत्तियाए, अप्पेगइया पूयणवत्तियाए, अप्पेगइया सक्कारवत्तियाए, अप्पेगइया संमाणवतियाए, अप्पेगइया कोऊ हल - जिणभत्तिरागेणं, अप्पेगइया सूरियाभस्स देवस्स वयणमणुयत्तेमाणा, अप्पेगइया अस्सुयाई सुणेस्सामो, अप्पेगइया सुयाई निस्संकियाई करिस्सामो, अप्पेगतिया अन्नमन्नमणुयत्तमाणा, अप्पेगइया जिणभत्ति - रागेणं, अप्पेगइया 'धम्मो' त्ति, अप्पेगइया 'जीयमेयं' ति कट्टु सव्विड्ढीए जाव अकालपरिहीणा चेव सूरियाभस्स देवस्स अंतियं पाउब्भवंति ।
२२. इसके पश्चात् स्थल - सेनाधिपति देव की इस घोषणा (सूर्याभदेव की आज्ञा ) को सुनकर सूर्याभ विमानवासी सभी वैमानिक देव और देवियाँ हर्षित, सन्तुष्ट यावत् प्रफुल्ल हृदय हो गये।
कितने ही देव भगवान की वन्दना करने के विचार से, कितने ही पर्युपासना करने की आकांक्षा से, कितने ही सत्कार करने की भावना से, कितने ही सम्मान करने की इच्छा से, कितने ही जिनेन्द्र भगवान के प्रति कुतूहलजनित भक्ति - अनुराग से, कितने ही सूर्याभदेव की आज्ञापालन करने के लिए, कितने ही अश्रुतपूर्व ( जो पहले नही सुना ) वह सुनने की उत्सुकता लिए, कितने ही सुने हुए अर्थविषयक शंकाओं का समाधान करके निःशक होने के अभिप्राय से, कितने ही एक-दूसरे का अनुसरण करते हुए, कितने ही जिनभक्ति के अनुराग से, कितने ही अपना धर्म ( कर्त्तव्य) मानकर और कितने ही अपना परम्परागत आचार-व्यवहार समझकर सर्व ऋद्धि के साथ यावत् बिना किसी विलम्ब के तत्काल सूर्याभदेव के समक्ष उपस्थित हो गये ।
RESPONSE TO THE PROCLAMATION
22. At the proclamation of the chief of land forces of gods, the heavenly gods and goddesses residing in Suryabh Viman felt overjoyed and well pleased to the very core of their heart.
Many gods came there to greet the Lord, some came to serve him, some came to honour him, some came to respect him, some
रायपसेणियसूत्र
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Rai-paseniya Sutra
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