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एक बार किसी गम्भीर रोग से पीड़ित एक श्रेष्ठी भेरी की महिमा सुन अन्य नगर से ॐ द्वारिका आया। उसके दुर्भाग्यवश भेरी उसके पहुंचने से एक दिन पूर्व ही बजाई गई थी। वह है म निराश हो सोच में डूब गया। तब उसे एक उपाय सूझा। वह भेरी-वादक के पास गया और
किसी प्रकार धन का लालच दे उससे थोड़ा-सा लेप भेरी से खुरचकर प्राप्त कर लिया। वह तो ॐ निरोग होकर चला गया किन्तु भेरी-वादक को धनोपार्जन का उपाय हाथ लग गया। धीरे-धीरे म उसने भेरी पर लगा सारा लेप खुरचकर बेच डाला। भेरी का दिव्य सामर्थ्य नष्ट हो गया। 5. श्रीकृष्ण को यह सूचना मिली तो उन्होंने उस भेरी-वादक को दण्डित कर द्वारिका से निकाल दिया। जन-सेवा की भावना से उन्होंने उस देवता का आह्वान कर पुनः वैसी ही एक भेरी प्राप्त की
और इस बार एक अत्यन्त विश्वासपात्र तथा योग्य व्यक्ति को भेरी बजाने का उत्तरदायित्व सौंपा। उसके पश्चात् हर छह महीने बाद नियम से भेरी बजाई जाने लगी और जनता लाभान्वित होने लगी।
यह दृष्टान्त उपमा स्वरूप है-द्वारिका का अर्थ समस्त भरतक्षेत्र है। श्रीकृष्ण का अर्थ तीर्थंकर है। देव का अर्थ पुण्य-फल है। भेरी का अर्थ श्रुतज्ञान हे और भेरी-वादक का अर्थ साधु है। ॐ श्रमण जब श्रुतज्ञानरूपी भेरी बजाता है तब जन-जन का कर्मरूपी रोग नष्ट हो जाता है। किन्तु ॥
जो साधु श्रुतज्ञान का स्वार्थवश दुरुपयोग करते हैं और श्रुतसम्मत संयम को भंग करते हैं वे
संसार-चक्ररूपी दण्ड के भागी होते हैं। ऐसे श्रोता कुपात्र हैं। जो श्रुतज्ञान का स्वार्थवश दुरुपयोग ॐ नहीं करते और श्रुत-सम्मत संयम को भंग नहीं करते वे स्व-हित तथा जन-हित दोनों उद्देश्यों में
सफल होते हैं। ऐसे श्रोता सुपात्र हैं। । (१४) आभीरी-यह भी एक दृष्टान्त है-एक अहीर (गुजर) दम्पति घी के घड़े अपनी गाड़ी 5 में भरकर नगर में बेचने के लिए जाते हैं। वहाँ पहुँचकर एक स्थान पर गाड़ी खड़ी कर वे घड़े * ॐ उतारने लगे। दोनों में से किसी की असावधानी के कारण एक घड़ा हाथ से छूट गया और धरती ॥
पर गिरकर टूट गया। जमा हुआ घी धरती पर गिर गया। पति-पत्नी आपस में एक-दूसरे को
दोष देते हुए लड़ने लगे। इसी बीच घी पिघलकर मिट्टी में पैठ गया। किसी प्रकार शेष घी क बेचते-बेचते रात हो गई। घर लौटते समय मार्ग के अँधेरे में दस्युओं ने उन्हें लूट लिया। किसी
प्रकर जान बचाकर अपने घर पहुंचे। 5 इसी प्रकार जो शिष्य ज्ञान प्राप्त करते समय किसी भूल को लेकर अपने गुरु अथवा अन्य
सहपाठियों से कलह में लग जाते हैं वे अपना ही नहीं सभी का अनिष्ट करते हैं। ऐसे श्रोता + कुपात्र होते हैं।
एक अन्य अहीर दम्पति के साथ भी ऐसी ही घटना घटी। घड़ा फूटने पर तत्काल दोनों ने एक-दूसरे से असावधनी के लिए क्षमा मांगी और धरती पर पडे घी को पुनः झट से एकत्र कर तपाकर साफ किया और दूसरे घड़े में भर लिया। समय रहते अपना सारा माल बेच सूर्यास्त से पूर्व सकुशल अपने घर लौट आये। श्रोता के प्रकार
Type of Listeners मममममममममममम50
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