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सूचना उपलब्ध नहीं है। युग-प्रधान यन्त्र के अनुसार यदि इन्हें युग-प्रधान भी माना जाय तो 5 इनका कार्यकाल इस प्रकार है-जन्म-वी. नि. ८६४ (३९५ वि., ३३८ ई.), दीक्षा-वी. नि.
८८२ (४१३ वि., ३५६ ई.), युग-प्रधानपद वी. नि. ९०४ (४३५ वि., ३७२ ई.) और - स्वर्गगमन-वी. नि. ९२३ (४५४ वि., ३९७ ई.) भारतीय इतिहास में यह काल समुद्रगुप्त, ॐ चन्द्रगुप्त द्वितीय और कुमारगुप्त का काल माना जाता है।
Acharya Bhootadinn-He succeeded Arya Nagarjun as V Vachanacharya. In the panegyric—'Dushsham-kaal Shri Shraman 卐 Sangh Stotra' he has been mentioned as Yuga-pradhanacharya.
Hardly any more information about him is available. If he is accepted as Yuga-pradhanacharya according to the Yuga-pradhan chart,
important dates in his life should be-Birth-864 A.N.M. (395 V.,338 LE A.D.), Diksha-882 A.N.M. (413 V., 356 A.D.), Yuga-pradhan status卐: 904 A.N.M. (435 V., 372 A.D.), Death-923 A.N.M. (454 V., 397 A.D.). 5 In Indian history this was the period of successive reigns of 5 Samudragupta, Chandragupta II, and Kumaragupta.
४६ : समुणिय-णिच्चाणिच्चं, समुणिय-सुत्तत्थधारयं वंदे।
सब्भावुब्भावणया, तत्थं लोहिच्चणामाणं॥ ___ अर्थ-नित्य-अनित्य (जीव-अजीव) द्रव्यों को भलीभाँति जानने-समझने वाले, सूत्र व + अर्थ को समझ-कर धारण करने वाले, सर्वज्ञ द्वारा प्रकट किये भावों का सत्य प्रतिपादन करने वाले लोहित्य नाम के आचार्य को वन्दना करता हूँ।
I pay homage to the Acharya whose name was Lohitya and who properly understood the substances like sentient and non45 sentient, who absorbed the scriptures after fully understanding 55 the text and the meaning, and who was the true explicator of 5 the spirit of the tenets expounded by the omniscient.
विवेचन-आर्य भूतदिन के पश्चात्वर्ती आचार्य लोहित्य के विषय में इस उल्लेख के अतिरिक्त अन्य कहीं कोई सूचना प्राप्त नहीं होती। ____Elaboration Acharya Lohitya-Except for this mention,
nowhere any information is available about Acharya Lohitya who 5 succeeded Arya Bhootadinn.
४७ : / अत्थ-महत्थ-क्खाणिं, सुसमण-वक्खाण-कहण-निब्वाणिं।
पयईए महुरवाणिं, पयओ पणमामि दूसगणिं॥
मध卐卐फ्रज+5ETHSSSSS
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श्री नन्दीसूत्र
Shri Nandisutra 055555555555555555555
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