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After that I pay homage to Acharya Bhootadinn who was unperturbed in the observance of austerities and discipline, who was respected among scholars and who was an expert of the codes of discipline.
४३ : वर-कणग-तविय-चंपग-विमउल-वर-कमल-गब्भसरिवन्ने ।
भविय-जण-हियय-दइए,
४४ : अड्ढभरहप्पहाणे अणुओगिय-वरवसभे
४५ : जगभूयहियपगब्मे, भव-भय-वुच्छेयकरे,
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वंदे ऽहं
सीसे
5 युग-प्रधान स्थविर वन्दना
दयागुणविसारए
बहुविह- सज्झाय- सुमुणिय- पहाणे ।
नाइलकुल-वंसनंदिकरे ॥ भूयदिन्नमारिए । नागज्जुणरिसीणं ॥
धीरे ॥
अर्थ - जिनके शरीर का वर्ण तपे हुए शुद्ध सोने अथवा चम्पा के फूल या श्रेष्ठ जाति के
विकसित कमल के गर्भ में रहे पराग के समान स्वर्णिम है, जो भव्य प्राणियों के हृदय सम्राट, और जनमानस में दया गुण प्रेरित करने में पटु हैं, जो अपने समय में समस्त भारत में
युग-प्रधान माने गये हैं, जो स्वाध्याय की सभी विधियों के परम विशेषज्ञ तथा अनेकों श्रेष्ठ साधुओं को स्वाध्याय आदि में प्रयुक्त करने वाले हैं, जो नागेन्द्र कुल वंश की कीर्ति का संवर्धन करने वाले हैं, जो प्राणिमात्र के हितोपदेश में समर्थ और भव बन्धन के भय को नष्ट करने वाले हैं, ऐसे नागार्जुन ऋषि के शिष्य भूतदिन्न आचार्य को मैं वन्दना करता हूँ।
His complexion is golden like pure smelted gold or a Champa flower, or the pollen of the best quality lotus flower; he rules over the hearts of Bhavya beings (those who are capable of attaining moksha) and expertly invokes the virtue of altruism in masses; he was accepted as the Yug-pradhan (leader of the era) throughout India; he was the ultimate expert of all the processes of self-study and the promoter of many accomplished ascetics into practices like self-study; he was the enhancer of the glory of the Nagendra group (of ascetics); and he had the capability to guide all beings towards betterment and remove the fear of ties of rebirth. I pay homage to such Acharya Bhootadinn, the disciple of Rishi Nagarjun.
विवेचन-आर्य भूतदिन्न - आर्य नागार्जुन के पश्चात् आर्य भूतदिन वाचनाचार्य बने । "दुष्षमकाल श्री श्रमण संघ स्तोत्र" में आपको युग-प्रधानाचार्य माना है। इनके विषय में विशेष
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Obeisance of the Era-Leaders
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