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$55555555555555555555555555555555 15 Jain history this event is famous as Mathuri Vachana. The available i
form of Jain scriptures is credited to this Mathura congregation. In this context there is a mention that a shravak belonging to the Os clan arranged for getting the texts written on palm leaves and presenting them to the ascetics.
The Jains as well as the world literature will ever be indebted to Arya Skandil for his immense service of saving the scriptural knowledge from impending extinction.
३८ : तत्तो हिमवंत-महंत-विक्कमे धिइ-परक्कममणते।
सज्झायमणंतधरे, हिमवंते वंदिमो सिरसा॥ अर्थ-इसके पश्चात् हिमालय के समान महान् विक्रमशाली, अनन्त धैर्य व पराक्रम वाले तथा अनन्त स्वाध्याय करने वाले हिमवान आचार्य को नतमस्तक हो वन्दना करता हूँ।
After this, I bow my head and pay homage to Acharya 4 Himavan who was as towering as the Himalayas, who had i infinite patience and resolve, and who studied endlessly.
विवेचन-आचार्य हिमवान-आचार्य हिमवान स्कन्दिलाचार्य के शिष्य माने गये हैं। इनके जन्म, दीक्षा आदि के विषय में कोई सूचना उपलब्ध नहीं है। पट्टावलियों आदि के अनुसार इनका अनुमानित काल वीर निर्वाण की नौवीं शताब्दी का मध्य काल होना चाहिए।
Elaboration-Acharya Himavan-It is believed that Acharya Himavan was a disciple of Skandilacharya. No information is in $ available about the dates of his birth, initiation etc. According to the
lineage charts his period is estimated to be the middle of the 9th century A.N.M.
३९ : कालिय-सुय-अणुओगस्स धारए, धारए व पुव्वाणं।
हिमवंत-खमासमणे वंदे, णागज्जुणायरिए॥ ४0 : मिउ-मद्दव सम्पन्ने, आणुपुव्वी-वायगत्तणं पत्ते।
___ ओह-सुयसमायारे, नागज्जुणवायए . वंदे ॥ अर्थ और फिर कालिक श्रुतसम्बन्धी अनुयोगों के तथा उत्पाद आदि पूर्व ज्ञान के ॐ धारक हिमवन्त क्षमाश्रमण के समान श्रीनागार्जुनाचार्य को वन्दन करता हूँ। [ मृदु-मार्दव आदि भावों से युक्त, क्रमशः वाचक पद को प्राप्त हुए ओघ-श्रुत अर्थात् ॥
उत्सर्ग विधि का नियमपूर्वक आचरण करने वाले नागार्जुन वाचक को वन्दना करता हूँ। युग-प्रधान स्थविर वन्दना
Obeisance of the Era-Leaders 0555555555555555555555555555se
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