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AEEEEEEEEEEEEman555555555555550 ॐ कर्मरूप लघु जीवों का विदारण करने में समर्थ हैं। शुभ ध्यानरूप मणियों के वैभव से जो
सम्पन्न है और परीषह-उपसर्गरूपी जल जीवों से जो अक्षोभ्य है, ऐसा संघसमुद्र आपके लिए कल्याणकारी हो।
The sangh is like a sea. It has perseverance in discipline as s its expansive shore, it is infested with self-study (pursuit of Vi virtues) as its marine animals like crocodiles that consume 5
smaller beings that are karmas. It is rich with pious thoughts or fi meditation that are its pearls and it is undisturbed by afflictions that are its marine beings. May such sangh-sea ameliorate all.
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संघमहामन्दरस्तुति PANEGYRIC OF THE SANGH-MOUNTAIN १२ : सम्मइंसण-वरवडर, दढ-रूढ-गाढावगाढपेढस्स।
धम्म-वर-रयणमंडिय-चामीयर-मेहलागस्स। १३ : नियमूसियकणय-सिलायलुज्जलजलंत-चित्त-कूडस्स।
नंदणवण-मणहरसुरभि-सीलगंधुद्धमायस्स॥ १४ : जीवदया-सुन्दर कंदरुदरिय, मुणिवर-मइंदइन्नस्स।
हेउसयधाउपगलंत-रयणदित्तोसहिगुहस्स॥ १५ : संवरवर-जलपगलिय-उज्झरपविरायमाणहारस्स।
सावगजण-पउररवंत-मोर नच्चंत कुहरस्स॥ १६ : विणयनयप्पवर मुणिवर, फुरंत-विज्जुज्जलंतसिहरस्स।
विविह-गुण-कप्परुक्खगा, फलभरकुसुमाउलवणस्स। १७ : नाणवर-रयण-दिप्पंत, कंतवेरुलिय-विमलचूलस्स।
वंदामि विणयपणओ, संघ-महामन्दरगिरिस्स॥ __ अर्थ-संघ महामन्दर गिरि के समान है। इस मन्दर गिरि की भूपीठिका (आधारशिला) सम्यग्दर्शनरूपी वज्ररत्नों (हीरा) से बनी है, जो शंकादि छिद्रों से रहित होने से ठोस है। उसकी तत्वरुचिरूप गहरी जड़ें हैं। जो धर्मरूपी रत्नों (चारित्रिक गुणों) से मंडित है, क्षमा 5
आदि गुणों की स्वर्ण-मेखला से युक्त है। + श्री नन्दीसूत्र
( १० ) 中玩玩玩玩乐乐当劳%55555555555555555555555
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Shri Nandisutra
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