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________________ w प्र fps$5$$$$$$$$$$$$$$$$$$ h its ) ) )) ) ) अभयकुमार को जब उसने चण्डप्रद्योत के सम्मुख बन्दी के रूप में प्रस्तुत किया तो उसके हर्ष ॐ का ठिकाना न रहा। उसने अभयकुमार का परिहास करते हुए कहा-"क्यों बेटा ! धोखेबाजी का है + फल मिल गया? किस चतुराई से मैंने तुझे पकड़वाकर यहाँ मॅगाया है।" अभयकुमार ने निस्संकोच उत्तर दिया-“मौसा जी ! आपने तो मुझे मूर्छित दशा में रथ में डलवाकर मॅगवाया है है और मैं आपको कभी पूर्ण जागृत अवस्था में यातना देता हुआ रथ पर बैठाकर राजगृह ले जाऊँगा। सावधान रहें।" चण्डप्रद्योत ने अभयकुमार की इस चेतावनी को परिहास समझ कर टाल दिया। अभयकुमार E महल में अपनी मौसी के पास आनन्दपूर्वक समय बिताने लगा। कुछ दिन बाद जब ये सारी बातें विस्मत हो चली तब उसने एक ऐसे व्यक्ति को खोज निकाला जिसका डीलडौल शकल और आवाज 卐 ठीक महाराज चण्डप्रद्योत से मिलती थी। उस व्यक्ति को यथेष्ट धन का लालच दे अपने पास रख 5 लिया और अपनी योजना समझा दी। एक दो दिन बाद उसे राजा के से कपड़े पहनाए, रथ पर ॐ बैठाया और डण्डे मारता हुआ उज्जयिनी की सड़कों से होता नगर द्वार की ओर ले जाने लगा। योजनानुसार वह आदमी ऊँचे स्वर में चीख-पुकार करने लगा-"अरे, अभयकुमार मुझे डण्डे मार रहा है। कोई छुड़ाओ, कोई बचाओ।" लोगों के कानों में जब अपने राजा का स्वर पड़ा तो वे दौड़े। 卐 रथ के निकट आये तब भी अभयकुमार ने डण्डे मारना बन्द नहीं किया। जब लोग गौर से देखने लगे और कुछ पूछने को हुए-तभी दोनों ताली बजाकर हँसने लगे। लोगों ने देखा कि पिटने वाला * व्यक्ति उनका राजा नहीं कोई, बहुरूपिया लगता है। वे भी हँसते हुए चले गये। ___अभयकुमार प्रतिदिन यह नाटक अलग-अलग समय करता। सारे नगर में अभयकुमार के ॐ इस नाटक से लोग परिचित हो गये और ध्यान देना बंद कर दिया। यहाँ तक कि सैनिक व ॐ पहरेदार भी उस रथ को देख और चिल्लाने की आवाज सुन हँसकर दूर से ही देखते रहते। 卐 जब अभयकुमार आश्वस्त हो गया कि अब कोई उसे रोकने-टोकने वाला नहीं है तब एक * दिन अवसर देख सन्ध्या के समय राजा चण्डप्रद्योत को रस्सी से बाँध रथ में डाला और डण्डे . 5 मारता हुआ उज्जयिनी के राजमार्ग पर रवाना हो गया। चण्डप्रद्योत चिल्लाता ही रहा। उसकी ॐ आवाज सुन नगरवासी दूर खड़े इसे अभयकुमार का नाटक समझकर हँसते और मुँह फेर लेते।' कोई भी अपने असली राजा को बचाने नहीं आया। अभयकुमार इस बार नगर द्वार पहुंचकर लौटा नहीं। उसने नगर से बाहर निकलते ही रथ को और तीव्रगति से हाँकना आरम्भ किया है और राजगृह की ओर बढ़ गया। राजा श्रेणिक के सम्मुख बन्दी चण्डप्रद्योत को ला खड़ा किया और सारी कहानी सुनाई। चण्डप्रद्योत ने लज्जित हो राजा श्रेणिक से क्षमा माँगी और दोनों साढू गले मिले। सभी ने । अभयकुमार की चतुराई और कुशाग्र बुद्धि की प्रशंसा की। 9 (२) सेठ-एक सेठ ने अपनी दुश्चरित्र पत्नी से क्षुब्ध हो श्रमण दीक्षा ले ली। कालान्तर में F उसका योग्य पुत्र उस प्रदेश का राजा बन गया। कुछ समय बाद वे मुनि विहार करते हुए पुनः . +श्री नन्दीसूत्र ( २४८ ) Shri Nandisutra 岁岁岁岁岁岁男%%%%%%%%%% %劣岁岁岁岁岁5岁岁岁岁岁男生 在%%%听听听听听听听听听听听听听听听FF听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 听听听听听听$$$ i听FF听听听听 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007652
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1998
Total Pages542
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_nandisutra
File Size19 MB
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