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________________ $555555555555555555555555555555555 56 ८. मल-परीक्षा-एक बार एक व्यक्ति अपनी नवविवाहिता सुन्दर पत्नी के साथ कहीं जा रहा 卐 था। रास्ते में एक धूर्त्त उनके साथ हो लिया और उसकी पत्नी से बातें करने लगा। कछ ही देर ॥ में उसने उस स्त्री को अपनी ओर आकर्षित कर लिया और उसे अपने साथ ले जाने लगा। जब पति ने रोका तो धूर्त यह कहकर झगड़ने लगा कि यह तो मेरी पत्नी है। अन्त में वे तीनों ॐ न्यायाधीश के पास पहुंचे। न्यायाधीश ने सारी बात जानकर सबसे पहले तीनों को अलग-अलग - कमरों में भेज दिया। इसके बाद वे उस संभ्रान्त व्यक्ति के पास गए और अकेले में "तुमने कल क्या भोजन किया था?" उस व्यक्ति ने बताया-"मैंने और मेरी पत्नी ने कल तिल 卐 के लड्डु खाए थे।" इसके बाद न्यायाधीश उस धूर्त के पास गया और उससे वही प्रश्न किया। ॥ धूर्त ने कुछ अन्य खाद्य पदार्थों के नाम बताए। 卐 इसके पश्चात् न्यायाधीश ने धूर्त और स्त्री दोनों को जुलाव दिलवाकर उनके मल की परीक्षा : करवाई। स्त्री के पेट से तिल निकले और धूर्त के पेट से नहीं। इस प्रकार सत्य का पता चल 卐 गया और उसने धूर्त को दण्ड दे स्त्री को उस संभ्रान्त व्यक्ति को सौंप दिया। ९. गज-किसी राजा को एक बुद्धिमान् मंत्री की आवश्यकता थी। ऐसे मेधावी और + औत्पत्तिकी बुद्धि के धनी व्यक्ति की खोज के लिए राजा ने एक विशाल हाथी को नगर चौक में + बँधवा दिया और घोषणा करवा दी कि जो व्यक्ति इस हाथी को सही-सही तोल देगा उसे । पुरस्कृत किया जाएगा। ___अनेक लोग आए और हाथी को देख-देख यह सोचते हुए चले गए कि प्रथम तो इतनी बड़ी + तुला कहाँ से आएगी और आ भी गई तो हाथी को उसके पलड़े में कैसे चढ़ाया जाएगा? बहुत समय बीतने पर एक व्यक्ति आया और उसने कहा कि मैं इस हाथी का सही-सही वजन कर दूँगा। राज्य- कर्मचारियों की सहायता से वह हाथी को खुलवाकर एक सरोवर के तट पर ले आया। तट के पास एक नाव मँगवाकर लकड़ी के बड़े पाट के सहारे हाथी को नाव पर सवार करवा दिया। नाव जितनी पानी में डूबी उस स्थान पर उसने एक चिह्न लगा दिया और हाथी को पुनः तट पर उतरवा दिया। इसके बाद उसने नाव में पत्थर डलवाना आरंभ किया और तब तक 4 डलवाता रहा जब तक नाव पुनः उस चिह्न तक नहीं डूब गई। अब उसने नाव में से सारे पत्थर निकलवाकर एक तराजू की सहायता से कुछ देर में तोल लिये। उसने हाथी का सही-सही वजन ॐ बता दिया। उस व्यक्ति को पुरस्कार के लिए राजा के पास ले गये। राजा उसकी विलक्षण बुद्धिज से प्रभावित हुआ और उसे मंत्री पद से पुरस्कृत किया। १०. भांड-किसी राजा के दरबार में एक भांड था, जो उसका स्नेहपात्र था और उसके मुँह लगा था। राजा सदा उसके सामने अपनी रानी की प्रशंसा किया करता था, साथ ही यह भी कहता था कि वह बड़ी आज्ञाकारिणी है। एक दिन भांड ने राजा से इस बात के उत्तर में कहा-म “महाराज ! रानी स्वार्थवश ऐसा करती है। आपको विश्वास न हो तो परीक्षा करके देख लीजिए।" श्री नन्दीसूत्र ( १९४ ) Shri Nandisutra P) ) ) ) ) ) ) ) ) ) ) ) ) ) ) )) )) ) ) ) ) ) ) ) ) ) ) ) )) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007652
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1998
Total Pages542
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_nandisutra
File Size19 MB
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