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आभिनिबोथिक ज्ञान (मतिज्ञान)
ABHINIBODHIK-JNANA (MATI-JNANA) ४७ :से किं तं आभिणिबोहियनाणं?
आभिणिबोहियनाणं दुविहं पण्णत्तं, तं जहा-सुनिस्सियं च अस्सुयनिस्सियं च। से किं तं असुयनिस्सियं? असुयनिस्सियं चउव्विहं पण्णत्तं तं जहा
उप्पत्तिया वेणइया कम्मया पारिणामिया।
बुद्धी चउव्विहा वुत्ता, पंचमा नोवलब्भइ। ____ अर्थ-प्रश्न-यह आभिनिबोधिक ज्ञान क्या है ? ___उत्तर-आभिनिबोधिक ज्ञान (मतिज्ञान) दो प्रकार का बताया है-श्रुत-निश्रित और अश्रुत-निश्रित।
प्रश्न-अश्रुत-निश्रित क्या है ?
उत्तर-अश्रुत-निश्रित चार प्रकार का है-(१) औत्पत्तिकी, (२) वैनयिकी, (३) कर्मजा, ॐ और (४) पारिणामिकी। ये चार प्रकार की बुद्धियाँ बताई गई हैं। इनके अतिरिक्त पाँचवाँ ,
भेद उपलब्ध नहीं है। म 47. Question-What is this abhinibodhik-jnana ? 5 Answer-Abhinibodhik-jnana (mati-jnana) is said to be of 5 two types-shrut nishrit and ashrut nishrit.
Question-What is this ashrut nishrit?
Answer--Ashrut nishrit is said to be of four types 4 1. Autpattiki, 2. Vainayiki, 3. Karmaja, and 4. Parinamiki. It is s " said that wisdom is of these four types; a fifth type does not
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5 exist.
विवेचन-श्रुत-निश्रित वह है जो श्रुत सुनने के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो। अश्रुत-निश्रित वह है जो बिना श्रुत के स्वाभाविक रूप से उत्पन्न हो। अश्रुत-निश्रित के चार भेदों का संक्षिप्त + अर्थ है卐 (१) औत्पत्तिकी-क्षयोपशम भाव के कारण तथा शास्त्र अभ्यास किये बिना ही जो सहसा व
सहज उत्पन्न हो वह औत्पत्तिकी बुद्धि होती है। श्री नन्दीसूत्र
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