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________________ 55555555555555ELETELE.C - मुझे श्रुत सेवा के इस महान् कार्य की प्रेरणा मेरे पूज्य गुरुदेव उत्तर भारतीय प्रवर्तक ॐ भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी महाराज से प्राप्त हुई। पूज्य गुरुदेव आचार्यसम्राट् श्री आत्माराम जी + महाराज की श्रुत-सेवा से अत्यन्त प्रभावित हैं और उनके प्रति असीम श्रद्धाभाव रखते हैं। आचार्यसम्राट् श्री आत्माराम जी महाराज द्वारा सम्पादित आगमों के प्रचार-प्रसार में आपकी ॐ विशेष अभिरुचि है। मैंने आचार्यसम्राट् द्वारा सम्पादित आगमों का स्वाध्याय किया है और मैं ॥ उनकी असीम ज्ञान-राशि का ऋणी हूँ। मेरा सौभाग्य है कि उन्हीं द्वारा पुरस्कृत श्रुत-सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाने का सुअवसर मुझे मिल रहा है। मेरे सम्पादन का मूल आधार आचार्यश्री म द्वारा सम्पादित शास्त्र ही है। एक प्रकार से यह उन्हीं की दिव्य प्रेरणाओं का अमृत फल है। सचित्र आगम प्रकाशन के सातवें पुष्प रूप में यह नन्दीसूत्र प्रस्तुत करते हुए मुझे परम + प्रसन्नता है। इस कार्य में पूज्य महासती तपाचार्या श्री मोहनमाला जी महाराज, श्रमणीसूर्या उपप्रवर्तिनी डॉ. श्री सरिता जी महाराज तथा भगवद् वाणी के परम उपासक गुरुभक्त सज्जनों द्वारा जो सहयोग मिला है तथा साहित्यकार श्रीचन्द जी सुराना ने सम्पादन-सहयोग किया है " म उसके लिए मैं सभी का हार्दिक कृतज्ञ हूँ। 卐 अन्य सूत्रों की अपेक्षा इसके अंग्रेजी अनुवाद में समय भी काफी लगा और कठिनाई भी है + आई। अनेक शास्त्रीय शब्दों का अनुवाद सीधा अंग्रेजी में हो नहीं सकता। इसलिए मूल शब्द ज्यों के की त्यों रखकर उसकी परिभाषा दी गई है। जिससे अंग्रेजी भाषी पाठक जैन आगमों के मूल शब्द ग्रहण कर उसका अर्थ समझ सकें। आशा है इससे अंग्रेजी अनुवाद की अपनी उपयोगिता के भी बढ़ी है। मुझे विश्वास है, अन्य आगमों की तरह यह आगम सबके लिए रुचिकर एवं उपयोगी होगा। -उपप्रवर्तक अमर मुनि 听听听听听听听$听听听听听听听听听听FFFFFFFFFFFF听听乐乐听听听听听听听听听听sm 亞斯牙牙步步步五步步步步步步步5555555岁岁与 全玩男號苏苏究助岁岁5555断货等等步步步牙功路5555第5555 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007652
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1998
Total Pages542
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_nandisutra
File Size19 MB
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