________________
-
-
ए.DUDDDDDDDDDDDDDDDDDOO र ग्यारहवाँ अध्ययन ः दावद्रव
(५७) डा unaffected. However, some of these trees fall down. The leaves of some trees decay; they shed their yellow leaves, flowers and fruits and look like dried cl stumps.
देश-विराधक
सूत्र ६ : एवामेव समणाउसो ! जे अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा जाव पव्वइए समाणे बहूण टा 5 समणाणं, बहूणं समणीणं, बहूणं सावयाणं, बहूणं सावियाणं सम्म सहइ जाव खमइ तितिक्खइ डा
अहियासेइ, बहूणं अण्णउत्थियाणं बहूणं गिहत्थाणं नो सम्मं सहइ जाव नो अहियासेइ, एस ण । 15 मए पुरिसे देसविराहए पण्णत्ते समणाउसो !
सूत्र ६ : “उसी प्रकार हे आयुष्मान् श्रमणो ! जो साधु-साध्वी दीक्षा लेने के बाद अन्य अनेक साधु-साध्वियों तथा श्रावक-श्राविकाओं के प्रतिकूल वचनों को सम्यक् प्रकार से सहन करता है तथा ट
सुनकर समभाव रखता है, किन्तु अन्यतीर्थिकों आदि के दुर्वचनों को सम्यक् रूप से नहीं सह पाता, र उनपर समभाव नहीं रखपाता ऐसे व्यक्ति को मैंने देश-विराधक कहा है।
ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज
PARTIAL DECLINERS
6. “Similarly, Long-lived Shramans! those of our ascetics who, after getting initiated, fully tolerate the criticism by other ascetics and laity of our school and remain equanimous, but fail to do so in case of criticism by S ascetics and laity of other schools I call partial decliners.
देश-आराधक र सूत्र ७ : समणाउसो ! जया णं सामुद्दगा ईसिं पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया टा 5 वायंति, तया णं बहवे दावद्दवा रुक्खा जुण्णा झोडा जाव मिलायमाणा मिलायमाणा चिट्ठति।दा र अप्पेगइया दावद्दवा रुक्खा पत्तिया पुष्फिया जाव उपसोभेमाणा चिट्ठति।
सूत्र ७ : "जब जलकणों से स्निग्ध पुरवाई, पछाहीं, बयार या आँधी समुद्र की दिशा से चलती ड र है तथा अनेक दावद्रव के वृक्ष टूट जाते हैं, पत्ते सड़ जाते हैं और पीले पत्तों, फूलों और फलों के 5 5 झड़ जाने से वे ढूंठ जैसे मुरझाए खड़े रहते हैं। पर कुछ वृक्ष अपने फूल-पत्तों सहित शोभित बने टा
रहते हैं। 5 PARTIAL ASPIRERS
7. "Long-lived Shramans! When the humid eastern wind, western wind, a breeze, or a gale blows from the direction of the sea many of these trees fall down. The leaves of many trees decay; they shed their yellow leaves, flowers and fruits and, look like dried stumps. However, some of these Davadravel
trees remain un-effected. 15 CHAPTER-11 : THE DAVADRAV
(57) AAAAAAAAAAAAnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org