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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र SIL B COMPOSED JINAPALIT 5 53. Later the evil goddess of Ratnadveep approached Jinapalit and tried l 5 to disturb him with numerous favourable and unfavourable, harsh and S P sweet, lustful and pathetic displays. But when after all her efforts she failed S1 2 to disturb or allure him she got tired. At last, filled with disappointment and B dejection she returned to her abode.
सूत्र ५४ : तए णं से सेलए जक्खे जिणपालिएणं सद्धिं लवणसमुदं मझं-मज्झेणं वीईवयइ, र वीईवइत्ता जेणेव चंपानयरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चपाए नयरीए अग्गुज्जाणंसिट 5 जिणपालियं पिट्ठाओ ओयारेइ, ओयारित्ता एवं वयासी
_ 'एस णं देवाणुप्पिया ! चंपा नयरी दीसइ' त्ति कटु जिणपालियं आपुच्छइ, आपुच्छित्ता दी 5 जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए। र सूत्र ५४ : शैलक यक्ष जिनपालित को लिए लवणसमुद्र के मध्य से चलता-चलता चम्पानगरी 5 पहुँचा। नगरी के बाहर श्रेष्ठ उद्यान में जिनपालित को अपनी पीठ से नीचे उतारा और बोला-“हे ट 15 देवानुप्रिय ! यह चम्पानगरी दिखाई देती है।'' यक्ष ने जिनपालित से विदा ली और अपने स्थान को 5
र लौट गया। 15 54. Carrying Jinapalit over the sea Shailak Yaksh at last reached 5 Champa city. Landing in the garden outside the town he put down Jinapalit C P and said, “Beloved of gods! This is Champa city." He took leave of Jinapalit Sh 2 and left for his abode. 5 सूत्र ५५ : ते णं जिणपालिए चंपं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता जेणे सए गिहे, जेणेव दा र अम्मापियरो, तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता अम्मापिऊणं रोयमाणे जाव विलवमाणे र जिणरक्खियवावत्तिं निवेदेइ।
तए णं जिणपालिए अम्मापियरो मित्तणाइ जाव परियणेणं सद्धिं रोयमाणा बहूई लोइयाइंड र मयकिच्चाई करेंति, करित्ता कालेणं विगयसोया जाया।
सूत्र ५५ : जिनपालित ने चम्पानगरी में प्रवेश किया और अपने घर पहुंचा। अपने माता-पिताड र के पास जाकर उसने रोते-कलपते जिनरक्षित की मृत्यु का समाचार सुनाया। 15 जिनपालित, ने अपने माता-पिता तथा मित्र, स्वजातीय, तथा सम्बन्धियों के साथ शोक-संताप
र सहित मृत्यु सम्बन्धी सभी लौकिक कृत्य पूर्ण किए। समय बीतने पर वे धीरे-धीरे शोक मुक्त हुए। ट 1555. Jinapalit entered Champa and reached his house. He went to his l > parents and tearfully gave the news of demise of Jinarakshit. B With his parents, relatives, and friends Jinapalit concluded the formal a 5 mourning rituals. With passage of time the family slowly won over the grief.
JNĀTĀ DHARMA KATHÄNGA SŪTRA FinnnnnnnnnnnnAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAE
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