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र( ३४ )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र दा 5 सूत्र ४६ : मैं इस सैकडों मत्स्य, मगर तथा अन्य छोटे जलचरों के घर रत्नाकर समुद्र के बीच द र तुम्हारे देखते-देखते अपने प्राण त्याग दूंगी। यदि तुम ऐसा नहीं चाहते तो आओ वापस लौट चलो। र यदि तुम कुपित हो गए हो तो मेरा एक अपराध क्षमा कर दो।।६।। 15 46. “Before you could act, I will end my life in this sea infested with S 12 crocodiles and other small and large marine creatures. If you don't want that, 5 please come back to me. If you are angry, please pardon this one mistake of a 15 mine. (6) सूत्र ४७ : तुज्झ य विगयघण-विमल-ससिमंडलगारसस्सिरीयं,
सारय-नवकमल-कुमुद-कुवलयविमलदल-निकरसरिस निभनयणं। वयणं पिवासागयाए सद्धा मे पेच्छिउं जे अवलोएहि,
ता इओ ममं णाह जा ते पेच्छामि वयणकमलं ॥७॥ सूत्र ४७ : “तुम्हारा मुख मेघ-विहीन विमल चन्द्र-मण्डल के समान है। तुम्हारे नयन शरदऋतु डा 12 के नव-पल्लवित कमल, कुमुद और कुवलय के पत्तों के समान अत्यन्त शोभा युक्त हैं। ऐसे नेत्रों ड
5 वाले तुम्हारे मुख-दर्शन की प्यास लिए मैं यहाँ आई हूँ। तुम्हारे मुख को देखने की मेरी अभिलाषा ट 15 को पूरी करो। हे नाथ ! मेरी ओर देखो जिससे मैं तुम्हारा मुख-कमल निहार लूँ''॥७॥ 15 47. “Your face is like the radiant orb of a full moon in cloudless sky. Your al 15 eyes are as divinely beautiful as petals of fresh and blooming lotus flowers
including Kamal, Kumud and Kuvalay. I have come here craving to behold your enchanting face with such beautiful eyes. Please fulfill my desire of र beholding your face. O lord of my heart! Please look at me so that I may 5 behold your lotus-face.” (7) सूत्र ४८ : एवं सप्पणय-सरलमहुराई पुणो पुणो कलुणाई वयणाई।
__ जंपमाणी सा पावा मग्गओ समण्णेइ पावहियया॥८॥ र सूत्र ४८ : इस प्रकार प्रेम पूर्ण, सरल और मधुर वचन बार-बार बोलती हुई वह पापिनी उस 5 मार्ग में पीछे-पीछे चलने लगी।।८।। र 48. Thus, uttering sweet, loving, and tender words again and again that 15 she devil persistently followed. (8) र चंचल जिनरक्षित 5 सूत्र ४९ : तए णं से जिणरक्खिए चलमणे तेणेव भूसणरवेणं कण्णसुह-मणोहरेणं तेहि य डा र सप्पणय-सरल-महुर-भणिएहिं संजायविउणराए रयणदीवस्सदेवयाए तीसे सुंदरथण-जहण-वयण2 (34)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA I Finnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
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