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र नवम अध्ययन : माकन्दी
( ३१ ) SI र मधुर प्रलोभन र सूत्र ३९ : तए णं सा रयणदीवदेवया ते मागंदिया जाहे नो संचाएइ बहूहिं पडिलोमेहि य द 15 उवसग्गेहि य चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा लोभित्तए वा ताहे महुरेहि डा र सिंगारेहि य कलुणेहि य उवसग्गेहि य उवसग्गेउं पयत्ता यावि होत्थार 'हं भो मार्गदियदारगा ! जइ णं तुब्भेहिं देवाणुप्पिया ! मए सद्धिं हसियाणि य, रमियाणि
य, ललियाणि य, कीलियाणि य, हिंडियाणि य, मोहियाणि य, ताहे णं तुब्भे सव्वाइं अगणेमाणाट र ममं विप्पजहाय सेलएणं सद्धिं लवणसमुदं मझमज्झेणं वीइवयह?' 15 सूत्र ३९ : जब वह देवी माकन्दी पुत्रों को ऐसे अनेक प्रतिकूल उपसर्गों द्वारा चंचल एवं क्षुब्ध दी र करने या पलटने व लुभाने में सफल नहीं हुई तब उसने अपने मधुर श्रृंगारमय और अनुराग उत्पन्न । 5 करने वाले अनुकूल उपसर्ग (प्रलोभन) करना आरम्भ कर दिया। र वह कहने लगी-“हे माकन्दी पुत्रों ! हे देवनुप्रियो ! तुमने मेरे साथ हँस खेल कर समय 5 बिताया है, रमण किया है, ललित मनोरंजन किए हैं, क्रीडाएँ की हैं, लीलाएँ की हैं, भ्रमण किये हैं, ट र काम-भोग किया है। उन सभी को भुलाकर आज तुम इस शैलक यक्ष के साथ जा रहे हो और मुझे दी निराधार को त्याग रहे हो?"
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ENTICEMENTS
39. When the evil goddess was unable to move or force or frighten or < change the sons of Makandi she resorted to her tender, enchanting, and lusty enticements. She uttered --- ____ “O sons of Makandi! O Beloved of gods! You have spent time with me ind playful and pleasant activities. You have enjoyed my company in a variety of
entertainments, excursions, sports, etc. And besides all this you have made 15 love to me and enjoyed my body. Forgetting everything you are going away with this Shailak Yaksh and leaving me alone and helpless?”
सूत्र ४0 : तए णं सा रयणदीवदेवता जिणरक्खियस्स मणं ओहिणा आभोएइ, आभोएत्ता | 15 एवं वयासी-'णिच्चं पि य णं अहं जिनपालियस्स अणिट्ठा, अकंता, अप्पिया, अमणुण्णा, दे
र अमणामा, णिच्चं मम जिणपालिए अणिटे, अकंते, अप्पिए, अमणुण्णे, अमणामे। णिच्चं पि यह 5 णं अहं जिणरक्खियस्स इट्टा, कंता, पिया, मणुण्णा, मणामा, णिच्चं पि य णं ममं जिणरक्खिएट र इट्टे, कंते, पिए, मणुण्णे, मणामे। जइ णं ममं जिणपालिए रोयमाणिं कंदमाणिं सोयमाणिं डा र तिप्पमाणिं विलवमाणिं णावयक्खइ, किं णं तुमं जिणरक्खिया ! ममं रोयमाणिं जावटी
णावयक्खसि?
15 CHAPTER-9 : MAKANDI
(31) Finnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
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