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________________ UUUUUUUUUUUUण्ण्ण्ण्ण्य DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDU र नवम अध्ययन : माकन्दी ( २५ ) “Beloved of gods! Who knows what tortures your bodies may also have 2 suffer?" सूत्र ३0 : तए णं ते मागंदियदारया तस्स सूलाइयगस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म र बलियतरं भीया जाव संजातभया सूलाइययं पुरिसं एवं वयासी-'कहं णं देवाणुप्पिया ! अम्ह दी रयणदीवदेवयाए हत्थाओ साहत्थिं णित्थरिज्जामो?' सूत्र ३0 : शूली पर टंगे उस पुरुष की यह कथा सुन-समझकर दोनों माकन्दी पुत्र और भी डी अधिक भयभीत और आक्रान्त हो गये। उन्होंने पूछा-“देवानुप्रिय ! रत्नद्वीप की इस देवी के चंगुल टा से हम अपने प्रयत्नों से कैसे निस्तार पा सकते हैं ?" 12 30. When they listened and comprehended what the man on the gibbet said, the terror and panic of the sons of Makandi increased. They asked, SI "Beloved of gods! How can we free ourselves from the clutches of the evil goddess of Ratnadveep?" सूत्र ३१ : तए णं से सूलाइयए पुरिसे ते मागंदियदारगे एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! 5 पुरच्छिमिल्ले वणसंडे सेलगस्स जक्खस्स जक्खाययणे सेलए नामं आसरूवधारी जखे परिवसइ। र तए णं से सेलए जक्खे चोद्दसट्टमुद्दिट्ट-पुण्णमासिणीसु आगयसमए पत्तसमए महया महया दे सद्देणं एवं वदइ-'कं तारयामि? कं पालयामि?' 5 तं गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! पुरच्छिमिल्लं वणसंड सेलगस्स जक्खस्स महरिह डा पुष्फच्चणियं करेह, करित्ता जण्णुपायवडिया पंजलिउडा विणएणं पज्जुवासमाणा चिट्ठह। 15 जाहे णं से सेलए जक्खे आगयसमए एवं वएज्जा-'कं तारयामि? कं पालयामि?' ताह र तुब्भे वदह-'अम्हे तारयाहि, अम्हे पालयाहि।' सेलए भे जक्खे परं रयणद्दीवदेवयाए हत्थाओ दी 15 साहत्थिं णित्थारेज्जा। अण्णहा भे न याणामि इमेसिं सरीरगाणं का मण्णे आवई भविस्सइ। ___ सूत्र ३१ : उस व्यक्ति ने माकन्दी पुत्रों को बताया-“देवानुप्रियो ! पूर्व दिशा के वनखण्ड में 5 र शैलक नाम के यक्ष का यक्षायतन है। जहां अश्व का रूप धारण किये वह यक्ष रहता है। ___“वह यक्ष चतुर्दशी, अष्टमी, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन एक निश्चित समय पर उच्च स्वर डा र में पुकारता है-'किसका तारण करूँ? किसका पालन करूँ ?' __“अतः हे देवानुप्रियो ! तुम पूर्व दिशा के वनखण्ड में जाना और शैलक यक्ष की फूलों से उसी । र प्रकार पूजा करना जैसे महान लोगों की पूजा की जाती है। पूजा के बाद घुटने और पैर झुका कर, दी 15 दोनों हाथ जोड़कर विनय पूर्वक उसकी सेवा में खड़े हो जाना। 15 CHAPTER-9 : MAKANDI 卐nnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnALI (25 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007651
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1997
Total Pages467
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_gyatadharmkatha
File Size13 MB
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