________________
-
-
-
--
-
-
र ( २४ )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र टा 15 wailing painfully, pathetically and woefully. This scene filled them with fear 12 and terror. However, they approached the individual and asked
5 “Beloved of gods! Who owns this execution ground? Who are you and what a 15 has brought you here? Who has put you into this predicament?''
र सूत्र २९ : तए णं से सूलाइयपुरिसे मागंदियदारए एवं वयासी-‘एस णं देवाणुप्पिया ! 15 रयण-दीवदेवयाए आघायणे, अहण्णं देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवाओ भारहाओ वासाओ कागंदीए द
र आसवाणियए विपुलं पडियभंडमायाए पोतवहणेणं लवणसमुदं ओयाए। तए णं अहंड 15 पोयवहणविवत्तीए निब्बुड-भंडसारे एगं फलगखंडं आसाएमि। तए णं अहं उवुज्झमाण दे रेउवुज्झमाणे रयणदीवंतेणं संवूढे। तए णं सा रयणद्दीवदेवया ममं ओहिणा पासइ, पासित्ता ममं डा र गेण्हाइ, गेण्हित्ता मए सद्धिं विपुलाइं भोग-भोगाइं भुंजमाणी विहरइ। र तए णं सा रयणद्दीवदेवया अन्नया कयाई अहालहुसगंसि अवराहसि परिकुविया समाणी मम
एयारूवं आवइं पावेइ। ___ तं णं णज्जइ णं देवाणुप्पिया ! तुम्हं पि इमेसिं सरीरगाणं का मण्णे आवई भविस्सइ?
सूत्र २९ : शूली पर चढ़े उस पुरुष ने माकन्दी पुत्रों से कहा-“हे देवानुप्रियों ! यह रत्नद्वीप की डा र देवी का वधस्थल है। मैं जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में स्थित काकंदी नगरी का निवासी एक ड 5 अश्व-व्यापारी हूँ। मैं बहुत से अश्व और भाण्डोपकरण अपनी नाव में भर कर लवणसमुद्र में दी 15 निकला। जहाज के टूट जाने से मेरा सारा श्रेष्ठ माल समुद्र में डूब गया। मुझे लकडी का एक ड र पाटिया मिल गया, जिसके सहारे तैरता-तैरता मैं रत्नद्वीप के निकट आ पहुँचा। रत्नद्वीप की देवी ने 5 5 अपने अवधिज्ञान से मुझे देखा और ग्रहण कर लिया। फिर वह मेरे साथ विपुल काम-भोगों का ट 15 आनन्द लेने लगी। इसके कुछ समय बाद एक बार वह देवी किसी छोटे से अपराध के कारण मुझड र पर अत्यन्त कुपित हो गई और मुझे इस विपदा में डाल दिया। ___“देवानुप्रियो ! पता नहीं तुम्हारे इन शरीरों को भी किस आपत्ति का सामना करना पडे ?'
29. The man on the gibbet replied, “Beloved of gods! This execution 5 ground belongs to the evil-goddess of Ratnadveep. I am a horse trader from 15 the town of Kakandi in the Bharat area of the Jambu continent. I had filled a
my ship with horses and various other merchandise and set out on a sea voyage. As my ship capsized all my merchandize drowned into the sea. I caught hold of a wooden plank and drifted to Ratnadveep. The evil goddess became aware of me through her super natural powers and took me to her mansion. There she had all her lusty enjoyments with me. After some time > she got extremely annoyed with me on some minor mistake and put me into this predicament.
voorverriro
15 (24)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA A yonnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org