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सूत्र २२ : देवी ने माकन्दी पुत्रों को यह चेतावनी दो तीन बार दी। फिर उसने वैक्रिय समुद्घात करके तीव्र गति से लवण समुद्र के इक्कीस चक्कर काटना आरम्भ कर दिया ।
22. The evil goddess warned the sons of Makandi two three times and then she transformed herself into a form suitable for the task at hand and with divine speed commenced her scheduled twenty one trips around the sea. वन में परिभ्रमण
नवम अध्ययन : माकन्दी
सूत्र २३ : तए णं ते मागंदियदारया तओ मुहुत्तंतरस्स पासायवडिंसए सई वा रई व धिइ वा अलभमाणा अण्णमण्णं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! रयणद्दीवदेवया अम्हे एवं वयासी - एवं खलु अहं सक्कवयणसंदेसेणं सुट्ठिएणं लवणाहिवइणा जाव वावत्ती भविस्सइ, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! पुरच्छिमिल्लं वणसंडं गमित्तए ।' अण्णमण्णस्स एयम पडिसुति, पडिणित्ता जेणेव पुरच्छिमिल्ले वणसंडे तेणेव उवागच्छंति । उवागच्छित्ता तत्थ णं वावी य जाव अभिरममाणा आलीघरएसु य जाव विहरति ।
सूत्र २३ : देवी के जाने के कुछ देर बाद ही उस भवन में मधुर कल्पना, रति (आनन्द), और धृति का अनुभव नहीं होने पर ऊबकर दोनों माकन्दी पुत्रों ने परस्पर बात की - " देवानुप्रिय ! रत्नद्वीप देवी ने हम से कहा है कि वह शक्रेन्द्र के इंगित पर लवणसमुद्र के अधिपति सुस्थित देव के आदेशानुसार कार्य हेतु जा रही है अतः हम दक्षिण दिशा के वन-खण्ड में न जावें अन्यथा वहाँ शरीर के नष्ट होने की संभावना है। इसलिए भाई ! हमें पूर्व दिशा के वनखण्ड में चलना चाहिए ।" दोनों भाई इस योजना से सहमत हो गये और पूर्व दिशा के वनखण्ड में चले आये। वहाँ वे बावड़ी आदि में क्रीड़ा करते हुए लता मंडपों आदि में घूमने लगे ( पूर्व सम - सू. १८) |
EXCURSIONS
23. Some time after the departure of the evil goddess the two brothers felt the absence of pleasant feelings, physical pleasures, and satisfaction. They deliberated, "Beloved of gods! The evil goddess of Ratnadveep has informed us that she is going on an assignment entrusted to her by god Susthit, the lord of seas, on the direction of Shakrendra. She has prohibited us to go to the southern garden due to the fear of our destruction. As such, brother! we should go to the eastern garden." They both agreed and accordingly proceeded to the eastern garden and started roaming around and enjoying the water bodies, flower covered dwellings etc. (as detailed in para 18).
सूत्र २४ : तए णं ते मागंदियदारया तत्थ वि सई वा जाव अलभमाणा जेणेव उत्तरिल्ले वणसंडे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तत्थ णं वावीसु य जाव आलीघरएसु य विहरति ।
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CHAPTER-9 : MAKANDI
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