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अट्टमो वग्गो - अष्टम वर्ग
१-४ अध्ययन
CHAPTERS 1-4
सूत्र ७३ : एवं खलु जंबू ! जाव चत्तारि अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा - ( १ ) चंदप्पा, (२) दोसिणाभा, (३) अच्चिमाली, (४) पभंकरा ।
EIGHTH SECTION
सूत्र ७३ : जम्बू स्वामी के आठवें वर्ग के विषय में प्रश्न करने पर सुधर्मा स्वामी ने बताया" हे जम्बू ! श्रमण भगवान महावीर ने आठवें वर्ग के चार अध्ययन बताये हैं - ( १ ) चन्द्रप्रभा, (२) ज्योत्स्नाभा, (३) अर्चिमाली, और (४) प्रभंकरा । "
73. Answering the question of Jambu Swami regarding the eighth section Sudharma Swami said, "Jambu! According to Shraman Bhagavan Mahavir there are four chapters in the eighth section-(1) Chandraprabha, (2) Jyotsanabha, ( 3 ) Archimali, and (4) Prabhankara."
सूत्र ७४ : एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं, जाव परिसा पज्जुवासइ ।
सूत्र ७४ : प्रथम अध्ययन के विषय में प्रश्न करने पर सुधर्मा स्वामी ने कहा - " हे जम्बू ! काल के उस भाग में श्रमण भगवान महावीर राजगृह में विराजमान थे तथा लोग उनकी उपासना में लगे थे।”
74. On asking about the meaning of the first chapter Sudharma Swami said Jambu! During that period of time Shraman Bhagavan Mahavir was in Rajagriha and people were doing his worship.
सूत्र ७५ : तेणं कालेणं तेणं समएणं चंदप्पभा देवी चंदप्पभंसि विमाणंसि चंदप्पभंसि सीहासणंसि, सेसं जहा कालीए । णवरं पुव्वभवे महुराए णयरीए चंदवडेंसए उज्जाणे, चंदप्पभ गाहावई, चंदसिरी भारिया, चंदप्पभा दारिया, चंदस्स अग्गमहिसी, ठिई अद्धपलिओ मं पण्णासाए वाससाहस्सेहिं अब्भहियं ।
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एवं सेसाओ वि महुराए णयरी, माया-पियरो वि धूया - सरिसमाणा ।
सूत्र ७५ : काल के उस भाग में चन्द्रप्रभा देवी चन्द्रप्रभ विमान में चन्द्रप्रभा सिंहासन पर आसीन थी। शेष समस्त विवरण काली देवी के समान ही है। विशेषता यह है कि पूर्व-भव के वर्णन
SECOND SECTION: DHARMA KATHA
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