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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र Sil र सूत्र ७२ : काल के उस भाग में सूर्यप्रभा देवी सूर्य विमान में सूर्यप्रभ सिंहासन पर आसीन थी। दी
शेष समस्त विवरण काली देवी के समान ही है। विशेषता यह है कि इस देवी के पूर्व-भव के वर्णन डा 5 में नगर का नाम-अरक्खुरी नगरी, गाथापति का नाम सूर्याभ, गाथापत्नी का नाम सूर्यश्री और पुत्री
र का नाम सूर्यप्रभा था। मृत्यु के पश्चात् वह सूर्य नाम के ज्योतिष्क इन्द्र की अग्रमहिषी के रूप में डा 15 जन्मी। उसकी आयु पाँच सौ वर्ष अधिक आधे पल्योपम की है।
र इसी प्रकार शेष तीनों देवियों का वृत्तान्त भी अरक्खुरी नगरी में आरम्भ होता है और समान है। डा 5 72. During that period of time the goddess named Suryaprabha was
sitting on a throne named Suryaprabh in the Viman named Surya. All other B details are same as in the case of Goddess Kali. The difference is that in the S 5 story of her earlier incarnation the name of the city was Arakkhuri, the
name of the citizen was Suryaabh, the name of his wife was Suryashri and 2 that of his daughter was Suryaprabha. After her death she reincarnated as a < B principal queen of Surya, a Jyotishka Indra (a class of gods who are radiant). S Her life-span is half Palyopam and five hundred years.
The details about the remaining three goddesses are also same and start in the Arakkhuri city.
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॥ सत्तमो वग्गो समत्तो ॥ ॥ सातवाँ वर्ग समाप्त ॥
I END OF SEVENTH SECTION II
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