________________
( १९
र नवम अध्ययन : माकन्दी
सहकार-चारुहारो, किंसुय-कण्णियारासोग-मउडो। ऊसियतिलग बउलायवत्तो, वसंतउऊ-णरवई साहीणो॥१॥ तत्थ यपाडल-सिरीस-सलिलो, मलिया-वासंतिय-धवलवेलो. सीयल-सुरभि-अनल-मगरचरिओ, गिम्हउऊ-सागरो साहीणो॥२॥
सूत्र २० : यदि तुम वहाँ भी ऊब जाओ (आदि-सूत्र १९ के समान) तो तुम पश्चिम दिशा के दी 15 वन-खण्ड में चले जाना। वहाँ भी वसन्त (फाल्गुन-चैत्र) व ग्रीष्म (वैशाख-ज्येष्ठ) दो ऋतुएँ सदा डा र विद्यमान रहती हैं। यथा
आम के फूलों का जिसके मनोहर हार है; पलाश, कनेर और अशोक के फूलों का जिसके दी 15 मुकुट है, ऊँचे-ऊँचे तिलक वृक्ष और बकुल वृक्ष के फूलों का जिसके छत्र है ऐसा बसन्त रूपी राजा
वहाँ सदा विद्यमान रहता है।।१।। 15 पाटल और शिरीष के फूलों रूपी जल से जो परिपूर्ण है; मल्लिका और वासन्तिकी बेलों के 5 र फूल जिसका ज्वार है; शीतल और सुरभित पवन जिसके मगरों की हलचल है ऐसा ग्रीष्म ऋतु र रूपी सागर वहाँ सदा विद्यमान रहता है।।२।। $ 20. In case you get bored there also, etc. (as para 19) you may proceed to IP the western garden. The two seasons of Vasant (spring) and Greeshm 1P (Summer) always prevail in the western garden :
In that garden always roams free the king-like Vasant season with mango cl flowers as his necklace; the flowers of Palash, Kaner, and Ashok as his
crown; and the flowers of Bakul as his royal canopy. (1) 5 In that garden is always present the sea-like Greeshm season with the 15 Patal and Shirish flowers as its immense spread of water; the flowers of 15 Mallika and other seasonal creepers as its tide; and the cool fragrant wind as
P the disturbance caused by marine creatures. (2) 15 दक्षिण दिशा में जाने का निषेध
सूत्र २१ : जइ णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! तत्थ वि उव्विग्गा उस्सुया भवेज्जाह, तओ तुब्भ डा जेणेव पासायवडिंसए तेणेव उवागच्छेज्जाह, उवागच्छित्ता ममं पडिवालेमाणा पडिवालेमाणा B चिद्वेज्जाह। मा णं तुब्भे दक्खिणिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह। हे तत्थ णं महं एगे उग्गविसे चंडविसे घोरविसे महाविसे अइकाय-महाकाए। जहा तेयनिसग्गे
मसि-महिस-मूसाकालए नयणविसरोसपुण्णे अंजण-पुंजनियरप्पगासे रत्तच्छे जमल-जुयल-चंचल दी 15 CHAPTER-9 : MAKANDI SAnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
(19) दा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org