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EUDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDU र नवम अध्ययन : माकन्दी
( १७ ) टी तत्थ य15 सुरगोवमणि विचित्तो, दरदुकुलरसिय-उज्झररवो।
बरिहिणविंद-परिणद्धसिहरो, वासाउउ-पव्यतो साहीणो।।२।।
तत्थ णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! बहुसु वावीसु य जाव सरसरपंतियासु बहुसु आलीघरएसु य टी 15 मालीघरएसु य जाव कुसुमघरएसु य सुहंसुहेणं अभिरममाणा विहरेज्जाह। र सूत्र १८ : उस उद्यान में पावस (आषाढ और श्रावण मास) तथा वर्षारात्र (भाद्रपद और टा 5 आश्विन) ये दोनों ऋतुएँ सदा विद्यमान रहती हैं। यथा12 नई लताएँ और सिलिंध्र (वर्षा ऋतु में फूटने वाला सफेद फूल वाला पौधा) जिसके दांत है; 15 निकुर-वृक्ष के श्रेष्ठ फूल जिसकी सूंड है; कुटज, अर्जुन तथा नीम नाम के वृक्षों के फूल जिसका डा र सुगंधित मदजल हैं ऐसा गजराज रूपी पावस उस उद्यान में सदा स्वाधीन विचरता है।।१।। 5 इन्द्रगोप (सावन की डोकरी) आदि कीड़ों रूपी माणक आदि मणियों से सुशोभित, मेंढकों की डा र टर्र-टर्र के समान निर्झरों की ध्वनि से भरा, मयूरों रूपी चोटियों (शिखरों) वाला यह पर्वत रूपी डी र वर्षारात्र उस वनक्षेत्र में सदा स्वाधीन रहता है।।२।। र अतः हे देवानुप्रियो ! पूर्व दिशा के ऐसे उद्यान में रही अनेक बावड़ियों में, अनेक सरोवरों की ट र पंक्तियों में, अनेक लतामण्डपों, कली मंडपों, पुष्प मंडपों आदि में तुम सुखपूर्वक रमण करना।
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DESCRIPTION OF THE GARDENS
18. The two seasons of Pawas and Varsharatra (monsoon) always prevail P in the eastern garden:
In that garden always roams free the elephant-like Pawas season with 5 new creepers and the Silindhra plant (seasonal plant with white flowers) as
its tusks; the large flowers of the Nikur tree as its trunk; and fragrant
flowers of Kutaj, Arjun, and Neem as its humor (rut-fluid). 11: 15 In that garden is always present the mountain-like Varsharatra season < 15 with the beetles and other insects as its embellishment of scattered gems; the » croaking of frogs as the crackling of its streams; and peacocks as its peaks. 2 9
ved of gods! move around in the eastern garden and enjoy its | 5 numerous pools, ponds, and dwellings covered with creepers, buds and 15 lowers.
र सूत्र १९ : जइ णं तुब्भे एत्थ वि उविग्गा वा उस्सुया उप्पुया वा भवेज्जाह, तो णं तुब्भेट 15 उत्तरिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह। तत्थ णं दो उऊ सया साहीणा, तं जहा-सरदो य हेमंतो य। 15 CHAPTER-9 : MAKANDI 卐nnnnnnAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAE
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