________________
( १५ ) टी
AYUSUTUR
गणरायण
2 नवम अध्ययन : माकन्दी body with me. If you refuse I will behead you with my sword which is blue as
the blue lotus, buffalo horn, blue sapphire and Alsi flower, and sharp as a 1 stiletto. These rosy young heads with mustache and beard, trimmed and 2 B powdered with loving care by your parents, will be sliced off and thrown like a 5 palm-fruits.” 5 सूत्र १४ : तए णं ते मागंदियदारगा रयणद्दीवदेवयाए अंतिए एयमहूँ सोच्चा णिसम्म भीया । र संजायभया करयल जाव एवं वयासी-जं णं देवाणुप्पिया वइस्ससि तस्स आणा-उववाय-द 5 वयणनिद्देसे चिट्ठिस्सामो। र सूत्र १४ : तब माकन्दीपुत्र देवी की यह बात सुन-समझकर डर गये। हाथ जोडकर वे बोले5 “देवानुप्रिये ! आपके कहे अनुसार हम आपकी आज्ञा, सेवा, आदेश व निर्देश का पालन करेंगे।" S ____14. These words of The evil goddess terrorized the sons of Makandi.
Joining their palms and bowing before the evil goddess they submitted, 5 “Beloved of gods! As desired, we shall explicitly follow your orders, demands, 5 instructions and directions." र सूत्र १५ : तए णं सा रयणद्दीवदेवया ते मागंदियदारए गेण्हाइ, गेण्हित्ता जेणेव दे र पासायवडेंसए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असुभपुग्गलावहारं करेइ, करित्ता डा 5 सुभपोग्गलपक्वं करेइ, करित्ता पच्छा तेहिं सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणी विहरइ। र कल्लाकल्लिं च अमयफलाई उवणेइ। 5 सूत्र १५ : देवी ने माकन्दी पुत्रों को साथ लिया और उन्हें अपने महल में ले आई। वहाँ उनके र शरीर से अशुभ पुद्गलों (मैल, गन्दगी) को दूर किया और शुभ पुद्गलों का प्रक्षेपण किया ट र (लेप,सुगन्धादि द्वारा) और उनके साथ विपुल काम-भोग के सेवन में लीन हो गई। उनके लिए ड 5 प्रतिदिन अमृत जैसे मधुर फल लाने लगी।
___15. The evil goddess brought along the sons of Makandi to her palace. ट 5 Once in the palace she arranged for them to get rid of the slime and other cl 5 dirty particles from their bodies and to apply perfumes and other pleasant S 15 particles on their bodies. And then she indulged in satisfying her carnal ] 5 desires. Every day she would bring sweet and nutritious fruits for them. 5 शक्रेन्द्र का आदेश र सूत्र १६ : तए णं सा रयणद्दीवदेवया सक्कवयणसंदेसेणं सुट्टिएणं लवणाहिवइणा लवणसमुद्द 5ति-सत्त-खुत्तो अणुपरियट्टियव्वेति जं किंचि तत्थ तणं वा पत्तं वा कटुं वा कयवरं वा असुइंच र पूईयं दुरभिगंधमचोक्खं तं सव्वं आहुणिय आहुणिय ति-सत्त-खुत्तो एगते एडेयव्वं ति कटु 5 णिउत्ता।
IAPTER-9 : MAKANDI
(15)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org