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OUTU २ (१४)
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र SH While resting they went over all the incidents of the recent past starting from the moment they got permission from their parents. All the horrifying details of the storm and capsizing of their ship flashed into their memory
again and again. They were overwhelmed by fog of depression and, resting र their chins on the palms, they started brooding. र देवी की धमकी __सूत्र १३ : तए णं सा रयणद्दीवदेवया ते मागंदियदारए ओहिणा आभोएइ, आभोइत्ता |
असिफलग-वग्ग-हत्था सत्तट्टतालप्पमाणं उड्ढं वेहासं उप्पयइ, उप्पइत्ता ताए उक्किट्ठाए जाव 5 देवगईए वीइवयमाणी वीइवयमाणी जेणेव मागंदियदारए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता डी र आसुरुत्ता मागंदियदारए खर-फरुस-निठुरवयणेहिं एवं वयासी
_ 'हं भो मागंदियदारगा ! अप्पत्थियपत्थिया ! जइ णं तुब्भे मए सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं डा र भुंजमाणा विहरइ, तो भे अस्थि जीवियं, अहण्णं तुब्भे मए सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणाट 15 नो विहरइ, तो भे इमेणं नीलुप्पल-गवल-गुलिय-अयसिकुसुमप्पगासेणं खुरधारेणं असिणा दा
र रत्तगंडमंसुयाई माउयाहिं उवसोहियाइं तालफलाणि व सीसाइं एगते एडेमि।' 15 सूत्र १३ : उस समय रत्न-द्वीप की देवी ने अवधिज्ञान से माकन्दी पुत्रों को वहां आये देखा। द 12 उसने अपने हाथ में ढाल-तलवार ली और सात-आठ ताड जितनी ऊँचाई पर आकाश में उड कर ड 5 तीव्र दिव्यगति से चलती-चलती माकन्दी पुत्रों के निकट आई। उसने अपना क्रोध प्रकट कर तीखे, ट 5 कठोर और निष्ठुर वचनों में कहार “हे माकन्दी पुत्रो ! हे अनिच्छित (मृत्यु) की इच्छा करने वालो ! यदि तुम मेरे साथ विपुल टे 5 काम-भोग भोगने को तैयार हो तो तुम्हारा जीवन बचेगा। वैसा न करने पर नील कमल, भैंसे के द
सींग, नीलम की मणि तथा अलसी के फूल के समान नीली और छुरे की धार के समान तीक्ष्ण इस ड
तलवार से मैं तुम्हारे ये तरुणाई से गुलाबी, दाढी-मूंछों से शोभित और माता-पिता द्वारा संवार कर 5 सुन्दर बनाए मस्तक ताडफल की तरह काट कर एक और डाल दूंगी।
THREAT OF THE GODDESS
13. The evil goddess of Ratnadveep saw the sons of Makandi, through her magical powers, in this state of depression. She at once got up, picked her sword and shield up and, flying with a divine speed at a height of eight to ten feet from the ground, arrived near the sons of Makandi. Expressing her anger she uttered in harsh, cruel and commanding voice - ____ “O sons of Makandi! O desirous of the undesired! If you want to save your 5 lives you will have to agree to enjoy libidinous and lusty pleasures of the 5 (14)
JNĀTĀ DHARMA KATHĂNGA SÜTRA Sannnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn)
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