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EITUUTTUVUUTTUUUUUUUUUUU ( ३२०)
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र दा wilderness and go to Rajagriha. You should rejoin our family, relatives and 15 friends, and enjoy wealth, follow religion, and gain piety.”
र सूत्र ३७ : तए णं से जेट्टपुत्ते धणेणं सत्यवाहेणं एवं वुत्ते समाणे धण्णं सत्थवाहं एवंड 5 वयासी-'तुब्भे णं ताओ ! अम्हं पिया, गुरु, जणया, देवयभूया, ठवका, पइट्ठवका, संरक्खगा, दी र संगोवगा, तं कहं णं अम्हे ताओ ! तुब्भे जीवियाओ ववरोवेमो ? तुब्भं णं मंसं च सोणियं च डी र आहारेमो ? तं तुब्भे णं तातो ! ममं जीवियाओ ववरोवेह; मंसं च सोणियं च आहारेह, टी 5 अगामियं अडविं णित्थरह।' तं चेव सव्वं भणइ जाव अत्थस्स जाव पुण्णस्स आभागी भविस्सह। ड र सूत्र ३७ : धन्य सार्थवाह की यह बात सुनकर उसके ज्येष्ठ पुत्र ने कहा-"तात ! आप हमारे 5 पिता हैं, गुरु हैं, जनक हैं, देवता-स्वरूप हैं, स्थापक हैं, प्रतिष्ठापक हैं, रक्षक हैं, और दुर्व्यसनों व ड र विपत्तियों से बचाने वाले हैं। अतः हम आपका वध कैसे कर सकते हैं ? कैसे आपके रक्त-माँस का 5 आहार कर सकते हैं ? हे तात ! आप मुझे जीवन रहित कर दें और मेरे रक्त माँस का आहार कर ट 15 इस दुर्गम अटवी को पार करें। स्वजनों-मित्रों के पास पहुँचकर अर्थ, धर्म और पुण्य के भागी बनें। 5 र 37. After hearing this from Dhanya merchant, his eldest son said, “Father 5 you are our progenitor, guru, founder, promoter, protector, defender from ट 5 vices and afflictions, and also like a god to us. How can we kill you? How can » we feed on your flesh and blood? So, father! You should kill me and you and S
all my brothers should feed on my flesh and blood, cross this wilderness and 2 go to Rajagriha. You should rejoin our family, relatives and friends, and enjoy > 5 wealth, follow religion, and gain piety." र सूत्र ३८ : तए णं धण्णं सत्थवाहं दोच्चे पुत्ते एवं वयासी-'मा णं ताओ ! अम्हे जेटुं भायरं
गुरुं देवयं जीवियाओ ववरोवेमो, तुब्भे णं तातो ! मम जीवियाओ ववरोवेह, जाव आभागी ट 5 भविस्सह।' एवं जाव पंचमे पुत्ते।
र सूत्र ३८ : यह सब सुन दूसरे पुत्र ने धन्य से प्रार्थना की-“हे तात ! हम गुरु और देव के ट 15 समान बड़े भाई का जीवन नष्ट नहीं करेंगे। आप तो मुझे जीवन रहित करके इस अटवी पार 5
र करें।' इसी प्रकार तीसरे, चौथे, और पाँचवे पुत्र ने भी अनुरोध किया। 15 38. Hearing all this the second son appealed to Dhanya merchant, “You 5 should not kill our guru and god-like elder brother. Instead, kill me and cross
this wilderness.” The third, fourth and fifth sons also made similar appeals. 15 अन्तिम निर्णय 15 सूत्र ३९ : तए णं धण्णे सत्थवाहे पंचपुत्ताणं हियइच्छियं जाणित्ता ते पंच पुत्ते एवं वयासीर ‘मा णं अम्हे पुत्ता ! एगमवि जीवियाओ ववरोवेमो, एस णं सुंसुमाए दारियाए सरीरे णिप्पाणे 2 (320)
JNĀTĂ DHARMA KATHĀNGA SÜTRA Finnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnns
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