________________
म
DDDDDDDDDDDDजन र अठाहरवाँ अध्ययन : सुसुमा
( ३२१ ) हा जाव जीवविप्पजढे, तं सेयं खलु पुत्ता ! अहं सुंसुमाए दारियाए मंसं च सोणियं च आहारेत्तए। डी र तए णं अम्हे तेणं आहारेणं अवत्थद्धा समाणा रायगिहं संपाउणिस्सामो।' र सूत्र ३९ : पाँचों पुत्रों के मन की बात जान कर धन्य सार्थवाह ने कहा-पुत्रों ! हम किसी को र भी जीवन रहित न करें। सुंसुमा का यह शरीर अब निष्प्राण, निश्चेष्ट और जीव द्वारा त्यागा हुआ 15 है। अतः सुसुमा के इस शरीर के माँस और रक्त का आहार करके अपने प्राण बचाना हमारे लिए 5 र उचित होगा। इस भोजन से शक्ति आने पर हम राजगृह पहुँच सकेंगे।
FUण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण
FINAL DECISION 15 39. After getting the views of all his five sons Dhanya merchant said, S R "Sons! None of us shall be killed. Sumsuma's body has been abandoned by
her soul and is now lifeless and still. So, it is proper to feed on this body and 15 save ourselves. When we regain our strength with the help of this feeding we 15 shall be able to reach Rajagriha.
र सूत्र ४0 : तए णं ते पंच पुत्ता धण्णेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणा एयमटुं पडिसुणेति। तए टी 15 णं धण्णे सत्थवाहे पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं अरणिं करइ, करित्ता सरगं च करेइ, करित्ता सरए SI
र अरणिं महइ, महित्ता अग्गिं पाडेइ, पाडित्ता अग्गिं संधुक्खेइ, संधुक्खित्ता दारुयाइं पक्खेवेइ, ट इ पक्खेवित्ता अग्गिं पज्जालेइ, पज्जालित्ता सुंसुमाए दारियाए मंसं च सोणियं च आहारेइ। 5 सूत्र ४० : पाँचों पुत्रों ने धन्य सार्थवाह की बात स्वीकार कर ली। धन्य ने पुत्रों की सहायता दी र से अरणि काष्ठ में गड़हा किया और उसी काष्ट की एक तीखी डण्डी तैयार की। डण्डी को गड़हे डी
र में डालकर मंथन किया और घर्षण से अग्नि उत्पन्न की। फूंक मार कर लपटें उठाईं और ऊपर से टा 15 ईंधन की लकड़ियाँ डालीं। अग्नि प्रज्वलित हो जाने के बाद सुंसुमा के शरीर का माँस पकाया और डी
2 उस माँस तथा रक्त का आहार किया। 15 40. The five sons accepted the proposal of Dhanya merchant. With the a
help of his sons Dhanya merchant drilled a hole in a log of wood and S 2 prepared a sharp edged rod of the same wood. They put the rod in the hole 5 and whirled it to produce sparks. They blew the sparks into a flame and a
added more fuel-wood. When the fire was ready they cooked pieces of meat 5 from the body of Sumsuma and fed themselves. 5 सूत्र ४१ : तए णं आहारेणं अवत्थद्धा समाणा रायगिहं नयरिं संपत्ता मित्तणाइ- टा र नियग-सयण-संबंधि-परिजणं अभिसमण्णागया, तस्स य विउलस्स धण-कणगरयण जाव आभागी 5 जाया वि होत्था। 5 CHAPTER-18 : SUMSUMA
(321) दा Finnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org