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' DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDजन र सत्रहवाँ अध्ययन : आकीर्ण
( २९१ ) 5 25. The king therf called the servants who were sent to catch and bring |
the horses from the Kalik island and honoured and rewarded them. र सूत्र २६ : तए णं कणगकेऊ राया आसमद्दए सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-'तुब्भे णंट र देवाणुप्पिया ! मम आसे विणएह।' 5 तए णं ते आसमद्दगा तह त्ति पडिसुणेति, पडिसुणित्ता ते आसे बहूहिं मुहबंधेहिं य,दी
र कण्णबंधेहिं य, णासाबंधेहिं य, वालबंधेहिं य, खुरबंधेहिं य कडगबंधेहिं य खलिणबंधेहिं य, ड 15 अहिलाणेहिं य, पडयाणेहिं य, अंकणाहिं य, वेत्तप्पहारेहिं य, त्मयप्पहारेहिं य, कसप्पहारेहिं य,
र छिवप्पहारेहिं य विणयंति, विणइत्ता कणगकेउस्स रण्णो उवणेति। 15 सूत्र २६ : कनककेतु राजा ने अन्त में अश्वमर्दकों (अश्वों को प्रशिक्षण देने वाले) को बुलाकर द
र कहा-“देवानुप्रियो, तुम मेरे अश्वों को विनीत (प्रशिक्षित) करो। 15 “जो आज्ञा' कहकर अश्वमर्दकों ने राजा की आज्ञा स्वीकार की। फिर अश्वों को ले जाकर द र उनके मुख, कान, नाक, झौंरा (पूँछ का अग्र भाग), खुर व कटक बाँधकर; चौकड़ी व तोबरा 5 ए चढ़ाकर; पटतानक लगा कर, खस्सी कर, बेला, बेंत, लता : चाबुक, चमड़े के कोड़े आदि से प्रहार टा 5 करके उन्हें विनीत किया। जब वे घोड़े प्रशिक्षित हो गये तो उन्हें राजा के पास ले आये। 12 26. At last the king called for the horse trainers and asked, “Beloved of gods! You are appointed to break these horses and train them."
“As you say, Sire!" With these words the trainers accepted the king's order and took away the horses. They tied the mouth, ears, nose, and edge of the tail of each of these horses. They also tied their hooves and thighs. They put
nose-bags and the saddles on them and also the eye guards. After all this 15 they broke these horses by hitting them with ropes, canes, vines, lashes,
whips, etc. Once the horses were trained they brought them to the king. S र सूत्र २७ : तए णं से कणगकेऊ ते आसमद्दए सक्कारेइ, संमाणेइ, सक्कारित्ता संमाणित्ता ट
पडिविसज्जेइ। तए णं ते आसा बहूहिं मुहबंधेहिं य जाव छिवप्पहारेहिं य बहूणि सारीर-ड र माणसाणि दुक्खाइं पावेंति। र सूत्र २७ : राजा ने अश्वमर्दकों का सम्मान-सत्कार किया और फिर विदा कर दिया। उधर उन र अश्वों ने मुख बंधनादि तथा बेंत चाबुक आदि के प्रहार के कारण बहुत शारीरिक व मानसिक टी
दुःख उठाया। र 27. The king honoured and rewarded these horse trainers and dismissed ]
them. All these horses went through a lot of suffering due to the bondage and 15 the beating they got during the training. 5 CHAPTER-17: THE HORSES
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