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HARMS OF INDULGENCE
23. Many of the horses were lured by these good and attractive things. They became extremely fond of these things and started consuming and enjoying them. All these horses were caught in a variety of snares (nets, nooses, foot-snares, etc. ) fixed by the king's men.
सूत्र २४ : तए णं ते कोडुंवियपुरिसा एए आसे गिण्हंति, गिण्हित्ता एगट्टियाहिं. पोयवहणे संचारेंति, संचारित्ता तणस्स य कट्ठस्स य जाव भरेंति ।
तए णं ते संजत्ता णावावाणियगा दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव गंभीरपोयपट्टणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पोयवहणं लंबेंति, लंबित्ता ते आसे उत्तारेंति, उत्तारित्ता जेणेव हत्थिसीसे णयरे, जेणेव कणगकेऊ राया, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव वृद्धावेंति वद्धावित्ता ते आसे उवणेंति ।
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
तणं से कणगकेऊ राया तेंसि संजत्ता णावावाणियगाणं उस्सुक्कं वियरइ, वियरित्ता सक्कारेइ, संमाणेइ, सक्कारित्ता संमाणित्ता पडिविसज्जेइ ।
सूत्र २४ : राजसेवकों ने उन सभी घोड़ों को पकड़ा और छोटी नौकाओं द्वारा जहाज पर ले ' आये । जहाज में आवश्यक खाद्यादि सामग्री भरी और अनुकूल पवन होने पर रवाना होकर गंभीर पत्तन पहुँचे। वहाँ लंगर डाल कर उन घोड़ों को उतारा और उन्हें लेकर हस्तिशीर्ष नगर में राजा कनककेतु के पास ले आये । यथा विधि राजा का अभिवादन कर वे अश्व उनके सम्मुख उपस्थित कर दिये।
राजा ने उन समुद्र यात्रा व्यापारियों का शुल्क माफ कर दिया और सत्कार-सम्मान करके विदा कर दिया।
24. The royal staff rounded up these horses and transferred them to the ship with the help of boats. They loaded other essential things like food. When the wind favoured they sailed and arrived at Gambhir port, anchored the ship, unloaded the horses and brought them to Hastisheersh city. They took these horses to King Kanak-ketu and after due greetings presented them to him.
The king exempted all their taxes and bid them farewell after duly honouring and rewarding them.
सूत्र २५ : तए णं से कणगकेऊ राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता सक्कारेइ, संमाणेइ, सक्कारिता संमाणित्ता पडिविसज्जेइ ।
सूत्र २५ : राजा ने फिर उन सेवकों को बुलाया जिन्हें उसने घोड़ों को लाने के लिए कालिक द्वीप भेजा था। उन्हें भी सत्कार - सम्मान कर विदा किया।
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கல்
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JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA
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