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भUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUO र सोलहवाँ अध्ययन : अमरकंका
( २५३ ) डा 184. King Padmanaabh accepted the advice of Draupadi and following her 15 instructions approached Krishna Vasudev. With joined palms he said,द
"Beloved of gods! I have seen your glory and valour. I humbly seek your
forgiveness. I will never repeat such an act. Kindly pardon me." With these 2 words he fell at the feet of Krishna Vasudev. He personally returned al
Draupadi to Krishna.. र सूत्र १८५ : तए णं से कण्हे वासुदेवे पउमणाभं एवं वयासी-'हं भो पउमणाभा !S र अप्पत्थियपत्थिया ! किण्णं तुमं ण जाणसि मम भगिणिं दोवइं देविं इह हव्वमाणमाणे? तंटे 5 एवमवि गए। णत्थि ते ममाहिंतो इयाणिं भयमत्थि' ति कट्ट पउमणाभं पडिविसज्जेइ, ड र पडिविसज्जित्ता दोवइं देविं गिण्हइ, गिण्हित्ता रहं दुरूहेइ, दुरूहित्ता जेणेव पंच पंडवे तेणेव || 5 उवागच्छई, उवागच्छित्ता पंचण्हं पंडवाणं दोवइं देविं साहत्थिं उवणेइ। र सूत्र १८५ : कृष्ण ने कहा-"अरे पद्मनाभ ! अवांछित (अनचाहे) की इच्छा करने वाले। क्या । र तू भूल गया है कि तू मेरी बहन द्रौपदी को उठाकर लाया था। फिर भी मैं तुझे अभयदान देता हूँ। 15 जा, मुझसे तुझे कोई भय नहीं।" यह कहकर कृष्ण वासुदेव ने पद्मनाभ को मुक्त किया और द्रौपदी 5 रे को लेकर रथ पर चढ़ पाण्डवों के निकट आये। द्रौपदी को पाण्डवों को सौंप दिया। 5 185. Krishna replied, “Padmanaabh! O desirous of the undesired! You टा 15 forget that you abducted my sister Draupadi. However, I forgive you. GoG
away and have no fear from me." And Krishna set King Padmanaabh free.
He boarded his chariot with Draupadi and came near the five Pandavs. He 3 handed over Draupadi to the five Pandavs. 5 सूत्र १८६ : तए णं से कण्हे पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछडे छहिं रहेहिं लवणसमुदंड र मज्झमझेणं जेणेव जंबुद्दीवे दीवे, जेणेव भारहे वासे, तेणेव पहारेत्थ गमणाए। 15 सूत्र १८६ : पाँचों पाण्डवों के साथ कृष्ण छहों रथों में सवार हो लवणसमुद्र पारकर जम्बूद्वीप डा र स्थित भारतवर्ष आने के लिए प्रस्थित हुए।
186. Krishna and the five Pandavs left in their six chariots for the Bharat 5 area in the Jambu continent through the Lavan sea. र सूत्र १८७ : तेणं कालेणं तेणं समएण धायइसंडे पुरित्थमद्धे भारहे वासे चंपा णामं णयरी 5 होत्था। पुण्णभद्दे चेइए। तत्थ णं चंपाए णयरीए कविले णामं वासुदेवे राया होत्था, महया डा र हिमवंत वण्णओ। 15 सूत्र १८७ : काल के उस भाग में धातकीखण्ड के पूर्वार्ध भाग के भरतक्षेत्र में चम्पा नाम की डा
रे नगरी थी, जिसमें पूर्ण भद्र नामक चैत्य था। उस नगरी में कपिल नामक वासुदेव राज्य करते थे। वे ही र हिमवान् पर्वत के समान महान थे (वर्णन पूर्ववत्)।
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15 CHAPTER-16 : AMARKANKA FAAAAAAAAAAAnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
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