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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा 187. During that period of time there was a city named Champa in the Bharat area of the eastern Dhatkikhand continent. There was a temple
named Purnabhadra there. Kapil Vasudev was the ruler of that city. He was 5 as illustrious as the Himalayas (as before). 15 कपिल वासुदेव का आश्चर्य र सूत्र १८८ : तेणं कालेणं तेणं समएणं मुणिसुव्वए अरहा चंपाए पुण्णभद्दे समोसढे। कपिले टा 5 वासुदेवे धम्मं सुणेइ। तए णं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वयस्स अरहओ धम्मं सुणमाणे कण्हस्स दे र वासुदेवस्स संखसई सुणेइ। तए णं तस्स कविलस्स वासुदेवस्स इमेयारूवे अज्झथिए 5 र समुप्पज्जित्था-'किं मण्णे धायइसंडे दीवे भारहे वासे दोच्चे वासुदेवे समुप्पण्णे जस्स णं अयंदा
संखसद्दे ममं पिव मुहवायपूरिए वियंभइ?' र सूत्र १८८ : काल के उस भाग में मुनिसुव्रत नामक अरिहंत विचरते हुए चम्पा नगरी केट 5 पूर्णभद्र चैत्य में पधारे। वासुदेव कपिल ने उनका धर्मोपदेश सुना। इसी बीच कपिल वासुदेव ने द र कृष्ण वासुदेव के पाँचजन्य शंख का नाद सुना। कपिल के मन में विचार उठा-“क्या धातकीखण्ड ड र के भारतवर्ष में दूसरा वासुदेव उत्पन्न हुआ है? और उसका शंखनाद ऐसा फैल रहा है जैसे स्वयं । मैंने ही फूंका हो?"
15 SURPRISE OF KAPIL VASUDEV
188. During that period of time Arihant Munisuvrat came to Champa and stayed in the Purnabhadra Chaitya. Vasudev Kapil went to his discourse. During the discourse Kapil heard the echoing sound of the Panchajanya
conch of Krishna Vasudev. Kapil thought, “Has another Vasudev been born in 5 the Bharat area of the Dhatkikhand? And is the sound of his conch F resonating as it would if I were blowing it?” 15 सूत्र १८९ : ‘कविला वासुदेवा, मुणिसुव्वए अरहा कविलं वासुदेवं एवं वयासी-से णूणं ते ८ र कविला वासुदेवा ! मम अंतिए धम्मं णिसामेमाणस्स संखसई आकण्णित्ता इमेयारूवे अज्झथिए 5 ए समुप्पण्णे-'किं मण्णे जाव वियंभइ, से नूणं कविला ! वासुदेवा ! अयमढे समढे?' 5 'हंता अत्थि।' 15 सूत्र १८९ : मुनिसुव्रत अरिहंत ने कपिल वासुदेव से कहा-“हे कपिल वासुदेव ! मेरा उपदेश टा 15 सुनते-सुनते तुम्हारे मन में प्रश्न उठा कि क्या इस भरतक्षेत्र में दूसरा वासुदेव उत्पन्न हुआ है ,
र जिसका शंखनाद इतना प्रचण्ड और व्याप्त हो रहा है। (पूर्व सम-सू-१९५)। हे कपिल ! क्या यह है 5 ठीक है, यथार्थ है?" र कपिल-“जी हाँ ! यह सत्य है।"
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JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SÜTRA 1 Annnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnny
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