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सोलहवाँ अध्ययन : अमरकका
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) थे। वहाँ उसने उन पाँचों पाण्डवों को अपने हाथ में रहे पंच रंगे फूलों के गजरे से आवेष्टित कर दिया और कहा - " मैंने इन पाँचों पाण्डवों का वरण किया ।"
CHOOSING FIVE HUSBANDS
118. Rejecting thousands of illustrious kings in her parade for selection, guided by the ambition from her earlier birth, princess Draupadi arrived at the place where the five Pandav brothers were sitting. She encircled all the five brothers with the large multi-coloured garland in her hand and said, "I choose all these five Pandav brothers."
सूत्र ११९ : तए णं तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं बहूणि रायसहस्साणि महया महया सद्देणं उग्घोसेमाणा उग्घोसेमाणा एवं वयंति - सुवरियं खलु भो ! दोवईए रायवरकन्नाए ति कट्टु सयंवरमंडवाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव सया सया आवासा तेणेव उवागच्छंति ।
सूत्र ११९ : इस पर वहाँ उपस्थित वासुदेव आदि सहस्रों राजाओं ने उच्च स्वर में बार-बार उद्घोष किया - " अहो ! राजकुमारी द्रौपदी ने श्रेष्ठ वरण किया !” इस उद्घोष के बाद बाकी सभी राजा स्वयंवर मण्डप से बाहर निकले और अपने-अपने आवासों में चले गये ।
119. Krishna Vasudev and other thousands of kings hailed the princess loudly, "Indeed! princess Draupadi has made the best selection." And the assembly dispersed. The kings left the pavilion and proceeded to their camps.
सूत्र १२० : तए णं धट्टजुण्णे कुमारे पंच पंडवे दोवई रायवरकण्णं चाउग्घंटं आसरहं दुरूहइ, दुरूहित्ता कंपिल्लपुरं मज्झमझेणं जाव सयं भवणं अणुपविस |
सूत्र १२० : कुमार धृष्टद्युम्न ने पाँचों पाण्डवों और राजकुमारी द्रौपदी को चार घण्टाओं वाले रथ पर बिठाया और कांपिल्यपुर के बीच से चलते हुए अपने राजभवन में प्रवेश किया ।
120. Prince Dhrishtadyumn drove Draupadi and the Pandavs in the fourO bell chariot, through the streets of Kampilyapur city, to the royal palace. विवाह समारोह
सूत्र १२१ : तए णं दुवए राया पंच पंडवे दोवई रायवरकण्णं पट्टयं दुरूहेइ, दुरूहित्ता सेयापीएहिं कलसेहिं मज्जावेइ, मज्जावित्ता अग्गिहोमं करावेइ, पंचन्हं पंडवाणं दोवईए पाणिग्गहणं करावे |
सूत्र १२१ : राजा द्रुपद ने पाँचों पाण्डवों तथा राजकुमारी द्रौपदी को पाट पर बिठाया । सोने-चाँदी के कलशों में भरे पानी से स्नान करवाया और तब अग्नि होम करवा कर उनका पाणिग्रहण करवा दिया।
CHAPTER-16: AMARKANKA
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மதி
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