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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा 15 नामधिज्जे दोवई। तए णं तीसे अम्मापियरो इमं एयारूवं गुण्णं गुणनिप्फन्नं नामधेज्जं करेंति-ड
‘दोवई।' ___ सूत्र ७७ : जन्म से बारह दिन बीत जाने पर उसका नामकरण हुआ। “यह बालिका द्रुपद राजा र की पुत्री और चुलनी रानी की आत्मजा है अतः इसका नाम द्रौपदी हो।" यह कहकर माता-पिता ने डी र उसका गुण निष्पन्न नाम द्रौपदी रख दिया।
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NAMING CEREMONY
77. Twelve days after the birth the parents gave her a name suiting her SI ” background, “As this is the daughter of King Drupad and queen Chulni we şi 2 will name her as Draupadi (daughter of Drupad). 5 सूत्र ७८ : तए णं सा दोवई दारिया पंचधाइपरिग्गहिया जाव गिरिकंदरमल्लीण इव र चंपगलया निवानिव्वाघायंसि सुहंसुहेणं परिवड्डइ। तए णं सा दोवई रायवरकन्ना 15 उम्मुक्कबालभावा जाव उक्किट्टसरीरा जाया यावि होत्था।
सूत्र ७८ : पाँच धायों की देख-रेख में द्रौपदी उसी प्रकार विकसित होने लगी जैसे गुफा में वायु । 15 आदि के व्याघात के बिना चम्पकलता सुखपूर्वक बढ़ती है। धीरे-धीरे वह श्रेष्ठ राजकन्या टा 15 बाल्यावस्था से मुक्त हो उत्कृष्ट शरीर वाली सुन्दर युवती हो गई।
र 78. Under the care of five nurse-maids Draupadi started growing as el 15 Champak-vine grows undisturbed in a cave. With passage of time she crossed 15 her infancy and grew to be a beautiful, charming, and perfectly proportioned दा > young woman. र सूत्र ७९ : तए णं तं दोवई रायवरकन्नं अण्णया कयाइ अंतेउरियाओ पहायं जाव विभूसियं टी 15 करेंति, करित्ता दुवयस्स रण्णो पायवंदियं पेसंति। तए णं सा दोवई रायवरकन्ना जेणेव दुवए डा
र राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता दुवयस्स रण्णो पायग्गहणं करेइ। 15 सूत्र ७९ : एक बार अन्तःपुर में रहने वाली दासियों ने द्रौपदी को स्नानादि वस्त्रालंकारों से दी र विभूषित किया। फिर उसे राजा द्रुपद की चरण-वन्दना के लिए भेजा। द्रौपदी अपने पिता राजा
द्रुपद के पास गई और उनके चरणों का स्पर्श किया। 15 79. One day the maid-servants of the palace got Draupadi ready after her 91
bath, helping her dress and adorning her with ornaments. When she was Bready they sent her to get blessings from her father. Draupadi approached a
Ging Drupad and touched his feet. र सूत्र ८0 : तए णं से दुवए राया दोवई दारियं अंके निवेसइ, निवेसित्ता दोवईए । 5 रायवरकन्नाए रूवेण य जोव्वणेण या लावण्णेण य जायविम्हए दोवइं रायवरकन्नं एवं वयासी-ट र (204)
JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA 2 SAnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn)
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