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मागण्यएएएएएएण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ज F( १९२ )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र REMARRIAGE OF SUKUMALIKA
54. One day merchant Sagardatt was relaxing on the roof top of his house S R and looking down at the road in front. He saw an extremely destitute beggar. 5 He was dressed in rags (made by stitching together shreds of cloth) and had a 15 broken pieces of earthen ware in his hands. He had disheveled hair and, thousands of flies were hovering all around him.
सूत्र ५५ : तए णं से सागरदत्ते कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सदावित्ता एवं वयासी-'तुब्भे णं र देवाणुप्पिया ! एयं दमगपुरिसं विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पलोभेह, पलोभित्ता गिहं 15 अणुप्पवेसेह, अणुप्पवेसित्ता खंडगमल्लगं खंडघडगं च से एगते एडेह, एडित्ता अलंकारियकम्मं टा
र कारेह, कारित्ता प्रहायं कयबलिकम्मं जाव सव्वालंकारविभूसियं करेह, करित्ता मणुण्णं असणं- डा 15पाणं खाइमं साइमं भोयावेह, भोयावित्ता मम अंतियं उवणेह।
र सूत्र ५५ : सागरदत्त ने अपने सेवकों को बुलाकर कहा-“देवानुप्रियो ! तुम लोग जाओ और 15 उस (राजमार्ग पर चलते) भिखारी को यथेष्ट आहार सामग्री का लोभ देकर घर के भीतर ले ले र आओ। फिर उसके हाथ में रहे ठीकरों को एक ओर फेंक दो उसके नख-केश आदि कटवा दो ड 5 और स्नानादि करवा कर वस्त्रालंकार पहना कर तैयार कर दो। इसके बाद उसे स्वादिष्ट भोजन टी 15 करवा कर मेरे पास ले आना।" 15 55. Sagardatt called his servants and instructed, “Beloved of gods! Go and $ get that beggar you see on the main road, inside our house. Offer him ample <
food to allure him. Once inside, throw away the earthen ware he is carrying K in his hand, trim his hair, nails etc. , make him take his bath and dress up. 15 After that, feed him well and then bring him to me.
र सूत्र ५६ : तए णं कोडुंबियपुरिसा जाव पडिसुणेति, पडिसुणित्ता जेणेव से दमगपुरिसे तेणेव 15 उवागच्छंति, उवाच्छित्ता तं दमगं असणं पाणं खाइमं साइमं उवप्पलोभेति, उवप्पलोभित्ता सयं दा र गिहं अणुप्पवेसेंति, अणुप्पवेसित्ता तं खंडमल्लगं खंडघडगं च तस्स दमगपुरिसस्स एगते एडेंति। 5 तए णं से दमगे तंसि खंडमल्लगंसि खंड घडगंसिय एडिज्जमाणंसि महया महया सद्देणं
आरसति। र सूत्र ५६ : सेवकों ने सागरदत्त की आज्ञा अंगीकार की ओर उसके अनुसार लालच देकर 15 भिखारी को घर में ले आये। उसके सिकोरे के टुकड़े तथा घड़े के ठीकरे को एक तरफ डाल दिया।
र जब उन्होंने उसके हाथ के ठीकरों को एक ओर फेंका तो वह भिखारी उच्च स्वर में जोर-जोर ही 15 से रोने चिल्लाने लगा। र (192)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA S Finnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
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