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उवाहणाओ दलयइ, अकुंडियस्स कुंडियं दलयइ, अपत्थयणस्स पत्थयणं दलयइ, अपक्खेवगस्स पक्खेवं दलयइ, अंतरा वि य से पडियस्स वा भग्गलुग्गस्स साहेज्जं दलयइ, सुहंसुहेण य णं अहिच्छत्तं संपावेइ ।'
त्ति कट्टु दोच्चं पि तच्च पि घोसेह, घोसित्ता मम एयमाणत्तियं पच्चष्पिणह ।'
सूत्र ५ : " देवानुप्रियो ! तुम जाओ और चम्पा नगरी के सभी चौराहों, राजमार्गों आदि स्थानों पर इस प्रकार घोषणा करो
'हे देवानुप्रियो ! धन्य सार्थवाह प्रचुर माल लेकर व्यापार के लिए अहिच्छत्रा नगरी जाना चाहता है। अतः जो भी व्यक्ति, चाहे वह चरक ( चरक भिक्षु), चीरक ( चिथड़े पहनने वाला), ) चर्मखंडिक ( चमड़े के टुकड़े पहनने वाला), भिक्षांड ( भिक्षाजीवी), पांडुरंक (शैव भिक्षु), गौतम (बैल ) के खेल दिखाने वाला), गोव्रती (गाय के अनुरूप कार्य करने का व्रती), गृहिधर्मा (गृहस्थ आश्रम को श्रेष्ठ माननेवाला), अविरुद्ध (विनय का पालन करनेवाला), विरुद्ध ( अक्रियावादी), वृद्ध ( तापस), श्रावक (ब्राह्मण), रक्तपट (परिव्राजक ), निर्ग्रन्थ आदि व्रत पालन करनेवाले हों अथवा सामान्य गृहस्थ हों, धन्य सार्थवाह के साथ अहिच्छत्रा नगरी को जाना चाहे उसका स्वागत है। जिसके पास छतरी नहीं होगी उसे धन्य सार्थवाह छतरी दिलाएगा। जिसके पास जूता नहीं हो उसे जूते, कमंडल विहीन को कमंडल, भोजन विहीन को भोजन, पथ्य समाप्त होने पर पथ्य ) दिलवायेगा । और जो गिर जायेगा, क्षीण हो जायेगा अथवा रुग्ण हो जायेगा उसकी सहायता करेगा। इस प्रकार वह सबको सुख-पूर्वक अहिच्छत्रा नगरी तक पहुँचायेगा ।'
“यह घोषणा दो-तीन बार करो और लौटकर मुझे सूचना दो ।"
5. “Beloved of gods ! Go and make this announcement at all the crossings, highways, etc. of Champa city
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
`Beloved of gods! Dhanya merchant plans to go to Ahicchatra city with a large stock of merchandise for trading. So anyone who desires to go with him is welcome. He may be a Charak (a class of mendicants), Cheerak (a beggar who wears rags), Charmakhandik (a beggar who wears leather pieces), Bhikshand ( beggar), Pandurank (a Shaivite mendicant ), Gautam (ox trainer and performer), Gauvrati (one who moulds his life like that of a cow), Grihidharma (one who considers the normal house-holder's life as the best ), Aviruddha (theist), Viruddha ( atheist), Vriddha ( hermit ), Shravak (Brahman), Raktapat (ochre wearing Parivrajak), Nirgranth (Jain ascetic), and others following some austere discipline or those who are normal house-holders. Dhanya merchant will provide umbrellas to those who do not have one. Similarly he will provide shoes, utensils, food, and other allowances to those who do not have these. He will help all those who fall
JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA
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